रायपुर: भाजपा सरकार ने विपक्ष के मंसूबों पर पानी फेर दिया : रामविचार नेताम
रायपुर, भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य सभा सांसद रामविचार नेताम ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने भू-राजस्व संहिता में संशोधन के कानून को प्रदेश के लाखों आदिवासियों के व्यापक हित में वापस लेने का निर्णय लेकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। नेताम ने कहा कि रमन सरकार ने आदिवासी समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए और लोकतंत्र की स्वस्थ परम्परा का पालन करते हुए यह निर्णय लिया है। आदिवासी समाज ने रमन सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया।
नेताम आज यहां प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा-इस कानून को लेकर विपक्षी दलों के लोगों ने, खास तौर पर कांग्रेसी मानसिकता के कुछ सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों ने आदिवासी समाज के बीच भ्रामक प्रचार करते हुए समाज को भडक़ाने का प्रयास किया, लेकिन भाजपा सरकार ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
नेताम ने कहा कि डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों और आदिवासी समाज के समग्र विकास के लिए विगत चौदह वर्षों में जितने भी महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, उतने तो विगत 56 साल में भी नहीं हुए थे। रमन सरकार ने आदिवासियों के हित में पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ कई ऐसे निर्णय लिए है और योजनाएं शुरू की है, जिनके बारे में कभी किसी ने पहले सोचा भी नहीं था। आदिवासी क्षेत्रों और आदिवासी परिवारों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए भाजपा सरकार द्वारा किए गए कार्यों और संचालित योजनाओं की एक लम्बी सूची हैं।
नेताम ने बताया कि प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में सामान्य वन अपराधों से संबंधित वर्षो पुराने लगभग साढ़े चार लाख प्रकरणों को अदालतों से वापस लेकर साढ़े चार लाख वनवासियों को और उनके परिवारों को मानसिक और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति दिलाई । देश का पहला खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा कानून बनाने का श्रेय भी छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मिला है। इस कानून के तहत गरीब परिवारों को मात्र एक रूपए किलो में चावल दिया जा रहा है। लम्बे समय तक बिचौलियों द्वारा नमक के बदले आदिवासियों से चार-चिरौंजी जैसी उनकी कीमती वनोपजों को औने-पौने दाम पर खरीदकर उनका शोषण किया जाता था। रमन सरकार ने नि:शुल्क आयोडिन युक्त नमक वितरण की व्यवस्था की और आदिवासियों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाई। नेताम ने कहा-आदिवासियों का स्वास्थ्य सुधारने के लिए उन्हें हर महीने सिर्फ पांच रूपए किलो में आदिवासी क्षेत्रों में दो किलो चना दिया जा रहा है।
रामविचार नेताम ने कहा-कांग्रेस की सरकारों ने वर्षों तक छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल क्षेत्रों की घोर उपेक्षा की, लेकिन छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सरगुजा और उत्तर क्षेत्र तथा बस्तर और दक्षिण क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरणों का गठन किया, जिनमें इन क्षेत्रों के सभी सांसदों, विधायकों और जिला पंचायतों तथा नगरीय निकायों के वरिष्ठ पदाधिकारियों को सदस्य बनाया गया। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इन प्राधिकरणों की मिनी केबिनेट की तरह बैठके होती है और जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों पर त्वरित निर्णय लेकर क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की जाती हैं। बस्तर और सरगुजा में विश्वविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों और इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना इन प्राधिकरणों में प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार की गई है। नेताम ने कहा-आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में चार नये जिलों-बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोण्डागांव का गठन किया गया। सरगुजा संभाग में दो नये जिले सूरजपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज की स्थापना की गई। रायपुर संभाग में आदिवासी बहुल गरियाबंद को जिले का दर्जा दिया गया। प्रदेश के सभी 146 विकासखण्डों को तहसील बनाया गया। अनुसूचित जनजाति वर्ग के मामलों के त्वरित निराकरण के लिए 11 जिलों में विशेष न्यायालय बनाए गए। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों को 11वीं और 12वीं कक्षाओं में प्रवेश देकर विशेष कोचिंग देने के लिए सभी पांच संभागीय मुख्यालयों में मुख्यमंत्री बाल भविष्य योजना के तहत प्रयास आवासीय विद्यालय शुरू किए गए, जिनमें अध्ययनरत कई बच्चों को आईआईटी, एनआईटी और मेडिकल तथा इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश मिला। नई दिल्ली में छत्तीसगढ़ के युवाओं को यूपीएससी और अन्य अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिए आवासीय सुविधा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ट्रायबल यूथ हॉस्टल की स्थापना की गई। आदिवासी बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए दंतेवाड़ा में विशाल एजुकेशन सिटी की स्थापना की गई। उन्होंने कहा-कौशल उन्नयन के लिए आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए पांच औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) खोले गए हैं और सभी आदिवासी बहुल जिलों में लाईवलीहुड कॉलेज संचालित किए जा रहे है। इतना ही नहीं बल्कि जगदलपुर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज तथा बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर, सुकमा, कोण्डागांव, जगदलपुर, सरगुजा, अम्बिकापुर, कोरिया, जशपुर, रामानुजगंज और सूरजपुर में सरकारी पॉलीटेक्निक संस्थान भी खोले गए हैं।
नेताम ने कहा-पेसा कानून 1996 की मंशा के अनुरूप अनुसूचित जनजातियों को समुचित अधिकार देने के लिए पंचायत राज अधिनियम में संशोधन कर आवश्यक प्रावधान किया गया है। भारत के संविधान के भाग-9 में अनुसूचित क्षेत्रों की पंचायतों के संबंध में आवश्यक प्रावधान किए गए हैं। इस प्रावधान के अनुसार छत्तीसगढ़ में पंचायत राज अधिनियम 1993 के अध्याय 14-क में संशोधन के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्रों की पंचायतों के लिए विशेष उपबंध किए गए हैं। इसके अनुसार प्रत्येक पंचायत में आरक्षण की व्यवस्था जनसंख्या के अनुसार की गई है।
नेताम ने कहा – पेसा कानून के अनुरूप अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं के अनुमोदन के बिना भू-अर्जन की कार्रवाई नहीं की जाती। अनुसूचित क्षेत्रों से संबंधित विकास की योजनाओं को ग्राम सभाओं में अनुमोदन के बाद ही अंतिम रूप दिया जाता है। पेसा कानून को लागू करने के लिए गौण खनिज नियमों में छत्तीसगढ़ सरकार ने पंचायतों को व्यापक अधिकार दिए हैं। पंचायतों को आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाने के लिए पंचायत क्षेत्रों में स्थित गौण खनिजों से प्राप्त राजस्व पंचायत विभाग और पंचायतों को उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार ने खनन और व्यवसाय का अधिकार पंचायतों को दिया है। इससे प्राप्त होने वाला राजस्व सीधे पंचायतों के खातों में जमा हो रहा है। नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने तेन्दूपत्ता संग्रहण का पारिश्रमिक विगत चौदह वर्ष में 450 रूपए से बढ़ाकर ढाई हजार रूपए प्रतिमानक बोरा कर दिया है और ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला और इकलौता राज्य है। लगभग 13 लाख से ज्यादा तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। उन्हें हर साल चरण पादुकाएं भी दी जा रही है। प्रदेश के वन क्षेत्रों में तीन लाख 86 हजार से ज्यादा परिवारों को वन अधिकार मान्यता पत्र देकर उन्हें तीन लाख 34 हजार हेक्टेयर भूमि वितरित की गई है। इसके अलावा 14 हजार से ज्यादा सामुदायिक वन अधिकार पत्र दिए गए हैं।
नेताम ने यह भी बताया कि ग्राम पंचायतों, नगरीय निकायों और जिला पंचायतों के चुनाव में अधिसूचित क्षेत्रों के आदिवासियों को आरक्षण दिया गया है। कृषि उपज मंडियों और सहकारी समितियों के चुनाव में भी उनके लिए सीटें आरक्षित की गई। सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जनजाति वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुरूप 32 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए आश्रम शालाओं और छात्रावासों की संख्या 1570 से बढक़र 2764 हो गई है। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में बिजली की सुविधाओं का भी तेजी से विस्तार किया जा रहा है। विगत 14 साल में 33/11 के.व्ही. क्षमता के विद्युत उपकेन्द्रों की संख्या इन इलाकों में 58 से बढक़र 172 हो गई है। वहीं इन क्षेत्रों में विद्युत कनेक्शन वाले सिंचाई पम्पों की संख्या 9 हजार से बढक़र लगभग 56 हजार तक पहुंच गई है।
नेताम ने कहा-बस्तर अंचल की वर्षों पुरानी कोसारटेडा सिंचाई परियोजना को रमन सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता से पूर्ण किया है, जिससे उस इलाके में हजारों एकड़ के रकबे में सिंचाई सुविधा मिल रही है। राज्य में संचालित 93 में से 61 कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय आदिवासी बहुल क्षेत्रों में खोले गए हैं। स्कूलों में जाति प्रमाण पत्र जारी करने की विशेष व्यवस्था की गई है । अधिसूचित जातियों के नामों का अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद होने के कारण उनके उच्चारण और लेखन में कुछ भ्रांतियां होती थी, जिन्हें दूर करते हुए ऐसे नामों को मान्यता दी गई है। इसके फलस्वरूप लगभग 30 लाख विद्यार्थियों को अब जाति प्रमाण पत्र आसानी से मिलने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।