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 न्योता भोज कार्यक्रम : पोषण और शिक्षा का आदर्श संगम

रायपुर। नेवता भोज कार्यक्रम सामुदायिक सहभागिता से समरसता की ओर एक बेहतर और अनूठा पहल है। इससे समाज और शिक्षा का तालमेल बेहतर होते दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मंशानुरूप 16 फरवरी से शुरू हुई इस योजना से पालक से दानदाताओं और सामाजिक प्रतिनिधियों द्वारा स्कूलों में जाकर अपने बच्चों के साथ स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों के संग खुशियां बांट रहे हैं। महासमुंद जिले में बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक नई पहल ने न केवल उनके पोषण स्तर को सुधारा है, बल्कि शिक्षा और सामुदायिक सहभागिता के महत्व को भी बढ़ाया है। प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत चलाए जा रहे “न्योता भोजन“ कार्यक्रम ने बच्चों और समुदाय के बीच एक गहरी सकारात्मक छाप छोड़ी है।

“न्योता भोज“ कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है, जिससे उनके शारीरिक और मानसिक विकास को गति मिले। इस कार्यक्रम में दानदाताओं, सामाजिक संगठनों, और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर स्कूलों में विशेष भोजनों का आयोजन किया, जिसमें बच्चों को न केवल पोषक आहार मिला, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य के महत्व पर भी जागरूक किया गया।

महासमुंद जिले में 507 बार आयोजित इस कार्यक्रम से कुल 29,251 विद्यार्थियों को लाभान्वित किया गया। बागबाहरा विकासखंड में 238 आयोजनों में 13,484 बच्चों को पोषक आहार प्रदान किया। सरायपाली में 70 आयोजनों के माध्यम से 4,406 छात्रों ने लाभ उठाया। इसी तरह, पिथौरा, बसना, और महासमुंद विकासखंडों में क्रमशः 45, 60, और 94 आयोजन सफलतापूर्वक किए गए।

“न्योता भोज“ की सफलता का सबसे बड़ा कारण सामुदायिक सहभागिता रही। इसमें दानदाताओं, जनप्रतिनिधियों, और समाज के गणमान्य नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस पहल ने यह दिखाया कि जब समाज और प्रशासन एक साथ काम करते हैं, तो बड़े बदलाव संभव हैं। इसे सामाजिक समरसता की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखा जा रहा है। इस कार्यक्रम ने न केवल बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया, बल्कि उनमें शिक्षा के प्रति रुचि और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई। बेहतर पोषण से बच्चों की पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार हुआ और उनके शारीरिक विकास को भी बढ़ावा मिला। “न्योता भोज“ ने साबित कर दिया है कि सही सोच और सामूहिक प्रयासों से किसी भी चुनौती का समाधान संभव है। यह कार्यक्रम न केवल बच्चों को बेहतर जीवन देने की दिशा में कदम है, बल्कि समाज में एकता और सहभागिता का प्रतीक भी बन गया है।

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