
जगदलपुर : विधान सभा चुनाव के प्रारंभिक काल से आज पर्यन्त तक जगदलपुर विधानसभा में 7 बार जनसंघ बनाम भाजपा का कब्जा रहा, जबकि कांग्रेस 5 मर्तबा ही अपनचा परचम लहरा पायी। कश्मकश के बीच एक दफे निर्दलीय चैतूराम माहरा ने भी बाजी मारी थी। इस सीट से अब तक सबसे ‘यादा 36256 मतों से जीतने वाले विधायक भाजपा के डॉ सुभाऊ कश्यप हैं, वहीं कम मतों से चैतूराम ने वर्ष 1962 में निर्दलीय चुनाव जीता था।
वर्ष 1957 में दो बार वर्ष 1980 एवं 1993 मध्यावधि चुनाव संपन्न हुए। 13 विधानसभा चुनाव में 1967 देवा कोसा, 1972 में बलिराम कश्यप, 1977 में वीरेन्द्र पांडेय, 1990 में दिनेश कश्यप, 2003 में डॉ सुभाऊ कश्यप, एवं 2008 में एवं 2013 में संतोष बाफना ने विजयश्री का वरण कर जनसंघ बनाम भाजपा के वर्चस्व को बनाए रखा था।
सर्वाधिक तीन बार विधायक रहे झितरूराम
इसी प्रकार 1957 में बस्तर महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव, 1980 मनसुखराम नाग, 1985, 1993 तथा 1998 में लगातार तीन बार झितरूराम बघेल ने शानदार सफलता हासिल कर कांग्रेस का झंडा गाड़ा था।
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कांग्रेस के झितरूराम बघेल ही एकमात्र विधायक रहे जिन्होंने पांच मर्तबा इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनावी महासमर में भाग लिया और 3 मर्तबा विधायक चुने गए, जबकि 1990 में दिनेश कश्यप एवं 2003 में सुभाऊ कश्यप से शिकस्त झेली पड़ी थी।
निर्दलीय ने भी रचा था इतिहास
वर्ष 1962 का ही चुनाव ऐसा था जिसमें निर्दलीय की हैसियत से चैतूराम माहरा ने निर्दलीय जगन्नाथ को पराजित कर निर्दलियों का इतिहास रचा था। समूचे चुनाव में 10 बार तो भाजपा-कांग्रेस के मध्य सीधा मुकाबला हुआ किंतु वर्ष 1962 एवं 1972 में निर्दलियों ने बढ़त लेकर राजनीतिक दलों को तीसरे क्रम पर ढकेल दिया।
2008 में सृजन हुआ नारायणपुर एवं बस्तर विधानसभा सीट का
बस्तर एवं नारायणपुर विधानसभा ऐसी सीटें हैं जिनका 2008 में सृजन हुआ नारायणपुर से पहले विधायक केदार कश्यप तथा बस्तर से डॉ सुभाऊ कश्यप विधायक चुने गए।