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जांजगीर चांपा : संयंत्र बिकने के पूर्व भूविस्थापितों के हितों की सुरक्षा हो सुनिश्चित- मंजू सिंह

जांजगीर : नरियरा में संचालित केएसके महानदी पॉवर प्लांट के बिकने की खबर ने यहां कार्यरत मजदूरों के साथ ही भू-विस्थापित परिवार के लोगों में कई तरह की आशंकाएं बढ़ा दी है। जो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से अपने हितों की रक्षा के लिए संपर्क में लग गये है। विदित हो कि केएसके महानदी पॉवर प्लांट शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा। कंपनी प्रबंधन के लचर प्रबंधन के चलते अब बैंक द्वारा दिये गये लोन को पटाने में भी हिलाहवाला किया जा रहा है।

विदित हो कि केएसके महानदी पॉवर प्लांट शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा

ऐसे में प्लांट के बेचे जाने की खबर ने यहां के कर्मचारियों व मजदूरों के लिए नया संकट खड़ा कर दिया है। इसी मुददे को लेकर पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय कांगे्र्रस कमेटी के सदस्य श्रीमती मंजू सिंह ने जिला प्रशासन को पत्र लिखते हुये प्रभावित परिवारों के हितों की रक्षा की मांग की है।

कर्मचारियों व मजदूरों के लिए नया संकट खड़ा कर दिया है

36 सौ मेगावाट की केएसके महानदी पॉवर प्लांट अपने निर्माण समय से ही विवाद के घेरे में रहा है। फिर चाहे रोगदा बांध का मामला हो या फिर विस्थापित परिवारों के पुनर्वास नीति के पालन का हो। आज भी भू-विस्थापित परिवार के सैकड़ों सदस्य आदर्श पुनर्वास नीति के तहत प्लांट में नौकरी के लिए कतार में खड़े है। बीते वर्षों में दर्जनों बार इसके लिए धरना आंदोलन से लेकर जिला प्रशासन की अगुवाई में त्रिपक्षीय वार्ता की जा चुकी है। ऐसे में प्लांट के बेचे जाने की खबर ने लोगों को सकते में डाल दिया है।

सैकड़ों सदस्य आदर्श पुनर्वास नीति के तहत प्लांट में नौकरी के लिए कतार में खड़े है

सूत्रों की माने तो प्लांट को करीब 18 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज पटाना है, वहीं उस प्लांट से अभी 6 मेगावाट की दो इकाईयों का निर्माण कार्य जारी है। प्लांट को पॉवर फाईनेस कार्पोरेशन के लिए एसबीआई कैपिटल ने नये खरीददार की तलाश शुरू कर दी है। जिसके लिए गत 7 मई को बीड मंगाने निविदा का प्रकाशन किया गया है। इन बातों को लेकर भू-विस्थापित परिवार एवं कार्यरत मजदूरों ने एआईसीसी सदस्य श्रीमती मंजू सिंह से मिलकर अपने हितों की रक्षा की मांग की है। श्रीमती सिंह ने प्रभावित पविार के सदस्यों के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखते हुये 6 बिंदूओं पर विशेष ध्यान आकृष्ट कराया है।

इन बातों का किया गया उल्लेख

श्रीमती सिंह ने पत्र में उल्लेखित करते हुये मांग की है कि संयंत्र का क्रेता इन समस्त उत्तरदात्यिवों को पूरा करने के लिए बाध्य होगा। जिसे पूर्व प्रबंधन ने करार करके भी पूरा नहीं किया। जैसे पुनर्वास नीति का पालन , त्रिपक्षीय वार्ता में हुये समझौतों का पालन, रोगदा जलाशय के अंतराण की स्वीकृति शर्तो का अनुपालन, सीएसआर की बाध्यताओं का पालन, औद्योगिक नीति का अनुपालन, भूमि मुआवजा का दायित्व शामिल है।

समस्त उत्तरदात्यिवों को पूरा करने के लिए बाध्य होगा

इसी तरह उन्होंने संयंत्र के कुप्रबंधन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के देश के बाहर जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुये कहा कि विजय माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी की तरह कहीं घटना की पुनरावृत्ति न हो। श्रीमती सिंह ने संयंत्र के लिए अर्जित भूमि में से उपयोग में नहीं लाये गये भूमि को किसानों को खेती के लिए वापस दिये जाने की भी मांग रखी है। साथ ही संयंत्र के स्वामित्व/ प्रबंधन के अंतरण को सार्वजनिक किये जाने तथा सभी निबंधनों तथा शर्तों को भी सार्वजनिक किये जाने की मांग की है। इसी तरह संयंत्र को बैंक सहित विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त हजारों करोड़ की धनराशि में से बड़ी राशि का घोटाला किया गया है। अब ऋण देने वाली विभिन्न संस्थाओं की राशि डुब रही है। ऐसी खराब आर्थिक स्थिति होने के कारणों के उच्च स्तरीय जांच की मांग रखी गई है।

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