महासमुंद : संतान की दीर्घायु की कामना का पर्व हलषष्ठी (कमरछठ) 1 सितंबर को मनाया जाएगा। हलषष्ठी पर्व के मद्देनजर आज बाजार सज कर तैयार हैं जहां महिलाएं पूजन सामग्री की खरीदारी करने पहुंच रही हैं। इस त्योहार में पसहर चावल का विशेष महत्व होता है। इसलिए चावल आज 120 रुपए किलो के भाव से बेचा जा रहा है।
हलषष्ठी 1 सितंबर को मनाया जाएगा
शास्त्रों के अनुसार भाद्र पद कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हलषष्ठी मनाई जाती है। इस दिन संतान की दीर्घायु के लिए महिलाएं व्रत रख कर पूजा-अर्चना करेंगी। सुबह स्नान-ध्यान के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेकर पूजा में जुट जाएंगी।
नगर के चौक-चौराहों व मंदिरों के अलावा घरों में सांकेतिक तालाब बनाकर पलाश की टहनियों व कांस की डाल को बांधा जाता है फिर चना, गेहूं, जौ, धान, अरहर, मूंग, मक्का व महुआ को बांस की टोकनी या फिर चुकिया में भरकर दूध-दही, गंगाजल अर्पित करते हुए षष्ठी देवी की पूजा की जाती है।
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पंडितों से व्रती महिलाएं पौराणिक कथा सुनती हैं। पूजा खत्म होने के बाद माताएं पूजा के लिए बनाए गए तालाब के जल से बच्चों का मुंह धुलवाती हैं और उस जल में कपड़ा भिगोकर उनकी पीठ पर आशीर्वाद भरा पोता लगाती हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे स्वस्थ व दीर्घायुु होते हैं। श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इस लिहाज से उनके साथ उनके अस्त्र, हल व बैल की भी पूजा की जाती है।
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