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नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में सेना ने 4 आतंकियों को किया ढेर

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में रमजान के दौरान महीनेभर तक आतंक रोधी ऑपरेशन रोकने की मियाद केंद्र सरकार द्वारा खत्म करने के बाद राज्य में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का ऑपरेशन ऑलआउट एक बार फिर से शुरू हो गया है। सेना ने सीजफायर खत्म होते ही सोमवार को बिजबेहरा और बांदीपोरा में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑलआउट शुरू कर दिया है। बिजबेहरा इलाके में कुछ आतंकियों के छिपे होने की खबर के बाद सेना ने इलाके को घेर रखा है। वहीं, बांदीपोरा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में अबतक चार आतंकी मारे गए हैं। मुठभेड़ अभी जारी है।

बता दें कि एक महीने के ‘सीजफायर’ के दौरान राज्य में आतंकी वारदातों में तेजी और 28 जून से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमले की आशंका को देखते हुए केंद्र ने इसे आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया था। उल्लेखनीय है कि सेना ने भी केंद्र से ऑपरेशन रोकने की मियाद नहीं बढ़ाने की अपील की थी।

अमरनाथ यात्रा के दौरान आतंकियों के नापाक मंसूबों की खबरों ने भी केंद्र सरकार के कान खड़े कर दिए थे। सरकार को इस तरह की अनहोनी होने पर राजनीतिक नुकसान का डर भी सता रहा था। उधर, सेना ने भी राज्य में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन नहीं रोकने की अपील की थी। इन तमाम पहुलओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र ने इस रोक आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय और सरकार में शीर्ष स्तर पर काफी विचार-विमर्श के बाद ‘सीजफायर’ को खत्म करने का फैसला किया गया। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन बंद होने के दौरान अलगाववादी नेताओं ने भी केंद्र के शांति के इस प्रयास पर चुप्पी साधे रखी थी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को ट्वीट कर जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन पर लगी रोक खत्म करने की घोषणा कर दी।

केंद्र और बीजेपी में भी सीजफायर पर थी चिंता जम्मू-कश्मीर में सीजफायर के दौरान केंद्र सरकार और बीजेपी में भी इस बात को लेकर चिंता थी कि राज्य में बढ़ती आतंकी घटनाओं का असर न केवल राज्य बल्कि देश में भी राजनीतिक तौर पर नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे में जब सीमा पर पाकिस्तान द्वारा सीजफायर की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है,

आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू करके बीजेपी सरकार यह संदेश दे सकती है कि आतंकियों के खिलाफ सख्त रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।सीजफायर के दौरान राज्य में आतंकी घटनाओं में आई तेजी केंद्र का मानना था कि इस तरह की रोक से राज्य का फायदा होना भी जरूरी है।

ऑपरेशन रोकने के दौरान राज्य में आतंकी घटनाओं में वृद्धि ही हुई वहीं, पत्रकार शुजात बुखारी और जवान औरंगजेब की हत्या के बाद स्थिति ज्यादा खराब हुई। ‘रमजान सीजफायर’ के दौरान आतंकियों द्वारा ग्रेनेड फेकने तथा सुरक्षाबलों पर हमलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी। अब आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन ऑलआउट फिर से शुरू होगा।

हालांकि ऑपरेशन के दौरान भी केंद्र सरकार राज्य की जनता से जुडऩे के अपने प्रयास जारी रखेगी। केंद्र के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा सोमवार को जम्मू-कश्मीर पहुंच रहे हैं और वह शनिवार तक यहां रहेंगे। इस दौरान वह राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मुलाकात करेंगे और अलगाववादी हुर्रियत नेताओं से भी मिलने की कोशिश करेंगे।

पीडीपी-बीजेपी में जारी है खींचतान सूत्रों के अनुसार अमरनाथ यात्रा पर किसी प्रकार के आतंकी हमले से बीजेपी का राजनीतिक तौर पर नुकसान हो सकता है। सीजफायर का सकारात्मक परिणाम नहीं आना राज्य में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन के बीच खींचतान का नतीजा भी माना जा रहा है। इधर, राज्य में हाल के दिनों में आतंकी वारदातों में तेजी के बाद अलगाववादी हुर्रियत से बातचीत की संभावना भी बेहद कम ही नजर आ रही है।

सरकार ने कहा कि आतंकियों के खिलाफ अभियान न चलाने का फैसला राज्य के शांतिप्रिय लोगों के हित में लिया गया था, जिससे उन्हें रमजान के महीने में अच्छा माहौल मिले। उकसावे के बावजूद संघर्षविराम के फैसले को शब्दश: लागू कराने के लिए राजनाथ ने सुरक्षाबलों की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि हालांकि इस दौरान आतंकियों ने नागरिकों और सुरक्षाबलों पर हमले जारी रखे, जिसमें कई लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए।

पीएमओ में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘हमें फैसले को सही भावना से देखने की जरूरत है। गृह मंत्रालय ने सभी उपलब्ध सूचनाओं पर गौर करके सैनिक अभियानों पर लगी रोक न बढ़ाने का फैसला किया है।’

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