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नईदिल्ली : सेना में रहकर 30 साल देश सेवा करने वाले लिस्ट से बाहर क्यों?

नई दिल्ली : असम में नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी, एनआरसी) के फाइनल ड्राफ्ट पर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा। शुक्रवार को कांग्रेस ने राज्यसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह के संबोधन के तुरंत बाद प्रश्नकाल में फिर एक बार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की। कांग्रेस ने कहा कि 1951 और 1985 का एनआरसी अकॉर्ड असम के संदर्भ में था।

एक बार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की

कांग्रेस ने सरकार से उन अफवाहों और राजनीतिक बयानों के संदर्भ में पूछा कि सरकार अपनी पोजिशन स्पष्ट करे और बताए कि एनआरएसी क्या दूसरे राज्यों तक भी बढ़ाया जाएगा। साथ ही यह भी सवाल उठा कि 30 साल तक सेना और एयरफोर्स में देशसेवा करने वाले जवान को फाइनल ड्राफ्ट में जगह क्यों नहीं मिली।

एनआरसी पर मोदी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की

कांग्रेस की तरफ से आनंद शर्मा ने एनआरसी पर मोदी सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। आनंद शर्मा ने कहा कि एनआरसी ड्राफ्ट लिस्ट में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि इसकी सारी प्रक्रियाओं को नोटिफाई किया जाए। उन्होंने सरकार से पूछा कि इस बारे में गरीब और अनपढ़ लोगों को जानकारी देने के लिए क्या व्यवस्था की गई है। आनंद शर्मा ने कहा कि इसका असर केवल देश और उसके राज्यों पर नहीं बल्कि पड़ोसी देशों पर भी पडऩे वाला है। सरकार इस संबंध में भी अपनी पोजिशन बताए।

क्या सरकार असम में 2.4 लाख संदिग्ध वोटर्स के दावे पर कायम?

आनंद शर्मा ने कहा कि इसी सरकार के मंत्री किरण रिजिजू ने सदन को बताया कि था कि असम में केवल 2.4 लाख संदिग्ध वोटर्स हैं। फिलहाल फाइनल ड्राफ्ट से ज्यादा लोगों को बाहर किया गया है। आनंद शर्मा ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से पूछा कि क्या सरकार अपने पुराने बयान पर कायम है, या उसे बदलना चाहती है।

 सेना और एयर फोर्स के जवान फाइनल ड्राफ्ट से बाहर क्यों?

आनंद शर्मा के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद ने भी एनआरसी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह 1986 से ही असम अकॉर्ड से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह स्पष्ट होना चाहिए कि देश की एकता, अंखडता और संप्रभुता से किसी तरह का कोई कंप्रोमाइज नहीं होना चाहिए। उन्होंने टीवी रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि सेना और एयरफोर्स में 30 सालों तक देश सेवा करने वाले पूर्व जवान भी फाइनल ड्राफ्ट से बाहर हैं।

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गुलाम नबी आजाद ने राजनाथ सिंह से पूछा कि सरकार ने दावा किया है कि एनआरसी पर सही और न्यायपूर्ण प्रक्रियाओं का पालन हुआ है। उन्होंने सवाल किया कि अगर ऐसा है तो सेना और एयरफोर्स के पूर्व जवान फाइनल लिस्ट से बाहर क्यों हैं। आपका बता दें कि शुक्रवार को केंद्र सरकार ने एकबार फिर एनआरसी पर अपना रुख साफ किया। विपक्ष के भेदभाव के आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह ड्राफ्ट असम समझौते के तहत ही बनाया गया है और इसमें किसी के साथ भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं है।

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एयरफोर्स के पूर्व जवान फाइनल लिस्ट से बाहर क्यों हैं

राजनाथ ने साथ ही जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बने इस ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम शामिल नहीं किए गए हैं उनको दावा करने का पर्याप्त मौका दिया जाएगा। केंद्र ने कहा कि इस मसले पर बिना वजह माहौल बिगाडऩे की कोशिश हो रही है, जो सही नहीं है। राजनाथ सिंह ने कहा कि यह फाइनल ड्राफ्ट है न कि फाइनल एनआरसी।

https://www.youtube.com/watch?v=4IKQq34Qppo

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