
रायपुर/ बिलासपुर। शिक्षकों में युक्तियुक्तकरण नियम 2024 को लेकर भारी असंतोष पनप रहा है। इसी कड़ी में शिक्षक साझा मंच ने इस प्रक्रिया का कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए संभाग आयुक्त और संयुक्त संचालक शिक्षा को ज्ञापन सौंपा। मंच की प्रमुख मांग है कि 2008 में लागू नियमों को ही बहाल किया जाए, जिससे स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती संतुलित और न्यायसंगत हो सके।
शिक्षकों का कहना है कि वर्तमान युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं। महिला शिक्षकों को उनके गृह क्षेत्र से 70 से 80 किलोमीटर दूर तबादला कर दिया गया है, जिससे उनकी पारिवारिक और सामाजिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मंच ने मुख्यमंत्री, शिक्षा सचिव और लोक शिक्षण संचालनालय को भी इस संबंध में ज्ञापन भेजा है।
वरिष्ठता का उल्लंघन, रिक्त पदों की गोपनीयता पर सवाल
मंच के अनुसार, युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में दावा-आपत्ति का अवसर नहीं दिया गया। वरिष्ठता के मानकों की अनदेखी करते हुए कई वरिष्ठ शिक्षकों को कनिष्ठ दिखाया गया है, जिससे व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इतना ही नहीं, रिक्त पदों की जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की गई, जिससे पारदर्शिता पर संदेह गहराता है।
2008 के नियमों की बहाली की मांग
ज्ञापन में बताया गया कि 2008 के नियमों के तहत प्राथमिक विद्यालयों में 60 छात्रों पर एक प्रधान पाठक और दो सहायक शिक्षक, तथा पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में 105 छात्रों पर एक प्रधान पाठक और चार शिक्षक की तैनाती का प्रावधान था। मंच का कहना है कि इन्हीं मानकों को दोबारा लागू कर युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को न्यायसंगत बनाया जा सकता है।
ये रहे प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख सदस्य
ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश संचालक भूपेंद्र सिंह बनाफर, प्रदीप पांडेय, उप संचालक रंजीत बनर्जी, अश्वनी कुर्रे, बेदाराम पटेल, राधेश्याम टंडन, राजेंद्र ठाकुर, संभाग संचालक बसंत चतुर्वेदी और मोहन लहरी शामिल रहे।