चुनावी चौपालदेश

किसान आंदोलन में आइटम गर्ल की तरह थीं Poonam Pandit ?, चुनाव में हैसियत का हो गया अंदाजा

बुलंदशहर जिले की स्या ना विधानसभा सीट पर भी बीजेपी ने भगवा लहरा दिया है. यहां भाजपा के विधायक देवेंद्र सिंह लोढ़ी ने लगातार दूसरी बार, रालोद के उम्मीदवार दिलनवाज खान को मात दी है. हालांकि 2017 में दिल नवाज बसपा के उम्मीादवार थे. लेकिन इस बार वे सपा से अपनी किस्मत आजमा रहे थे. लेकिन एक बार फिर उन्हें निराशा हाथ लगी. बीजेपी के लोढ़ी ने 148342 वोट हासिल किए हैं. तो वहीं उन्हें  टक्कर दे रहे दिल नवाज को 59207 वोट ही मिल सके. इस लिहाज से देवेंद्र सिंह ने करीब 90 हजार वोटों के बड़े अंतर से ये चुनाव जीत लिया.

अब बात करते हैं, उस चेहरे कि जिसे आपने सोशल मीडिया पर खूब देखा होगा. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आग उगलता ये चेहरा है, पूनम पंडित का. जो किसान आंदोलन नें सामने आकर खूब सूर्खियां बटोर रही थीं. उन्हें इतनी सुर्खियां मिलने लगीं, कि उन्होने अपना आपा ही खो दिया. वो कहते हैं न, कामयाबी लोगों को आसानी से पचती नहीं. ऐसा ही हुआ पूनम पंडित से. वे जिस किसान आंदोलन से पूरे देश के सोशल मीडिया पर छा रही थीं. उसी किसान आंदोलन से बड़े बेज्जती करते हुए उन्हें निकाल दिया गया.

वे रोती रहीं, गिड़ गिड़ाती रहीं, लेकिन किसी भी किसान नेता को उनपर तरस नहीं आया. आखिरकार उन्हें राकेश टिकैत की मौजूदगी में किसानों की एक सभा से बाहर फिकवा दिया गया. अब पूनम पंडित को लाइम लाइट में रहने की लत तो लग ही चुकी थी. सोशल मीडिया पर लोग भी उन्हें लाखों की तादात में देख रहे थे. लिहाजा उन्होने सोशल मीडिया को ही अपना हथियार बनाने का फैसला कर लिया.

वे अक्सर अपनी छोटी-छोटी बातें सोशल मीडिया पर शेयर करने लगीं. इसी दौरान उन्होने कांग्रेस भी ज्वाइन कर ली. उन्हें लग रहा था. कि जो लाखों लोग उन्हें सोशल मीडिया पर देखते हैं, उनमें से 10 फीसदी भी उनके लिये वोट कर देंगे तब भी वे जीत जाएंगी.

लेकिन हुआ उलटा. चुनाव में उनका हाल कुछ ऐसा हुआ कि उनके पसीने ही छूट गए होंगे. इस चुनाव में उन्होने बुलंदशहर की स्यान विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमाई. लेकिन हैरानी वाली बात ये है, कि उन्हें एक पार्षद चुनाव जीतने के लायक वोट भी हासिल नहीं हुए. इस विधानसभा चुनाव में पूनम पंडित को महज 2888 वोट ही मिले. यानि वो अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं. 

हालांकि इस हार के बाद उन्होने सोशल मीडिया पर ही लाइव आकर बताया कि वे इसके लिए रो नहीं रही हैं. लेकिन हमें लगता है अब उनके पास कोई रास्ता भी नहीं है.

अब आप सोच रहे होंगे कि जो पूनम पंडित, किसान आंदोलन की स्टार थी, वो इतनी बुरी तरह से कैसे हार सकती है. तो दोस्तों इसके पीछे की वजह भी हम आपको समझा देते हैं. दरअसल जो इतना बड़ा किसान आंदोलन हुआ, उसमें मुख्यरूप से पंजाब और हरियाणा के किसान ही मुखर रूप से डटे हुए थे. और जो लोग कैमरे पर दिख रहे थे, वे महज अपना चेहरा चमकाने की कोशिश कर रहे थे. फिर वे भले ही पूनम पंडित हों, या फिर राकेश टिकैत. क्योंकि खुद राकेश टिकैत अगर इतने जनाधार वाले नेता होते, तो वे खुद भी कभी चुनाव जीते होते. फिर जैसे ही पंजाब के किसानों ने आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया, पूरे आंदोलन की भी हवा निकल गई.

खैर राकेश टिकैत के बारे मे बात फिर कभी करेंगे, यहां हम बात कर रहे हैं पूनम पंडित की. उनकी हार की सबसे बड़ी वजह रही उनकी अपनी गलतफहमी. क्योंकि पूनम पंडित सोशल मीडिया पर तो खूब छाई रहीं, लेकिन जमीनी हकीकत से बिलकुल अंजान थीं. वे भूल गईं कि जिस योगी की पार्टी को वे हराने की बात करतीं हैं, उनकी पार्टी की विचारधारा से लोग बेहद करीब से जुड़े हुए हैं.

पूनम पंडित ये भी भूल गईँ, कि वो किसान आंदोलन में एक आइटम गर्ल की तरह थीं. जिसका उपयोग लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए तो किया जा सकता है, लेकिन असल में वे इस आंदोलन का भी हिस्सा नहीं थीं. उम्मीद है पूनम पंडित की हार से उन्हें फॉलो करने वाले जरूर कुछ सीखेंगे, साथ ही अपने काम में गंभीरता भी रखेंगे, जैसा पूनम पंडित ने कभी नहीं रखा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button