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रायपुर : तीन दलों की उपस्थिति से भाजपा-कांग्रेस को नुकसान

रायपुर : छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एक नाम बीजापुर का भी है। वर्तमान विधायक महेश गागड़ा भाजपा सरकार में वनमंत्री हैं। मंत्री बन जाने के बाद व्यावहारिक बदलाव के कारण जनता में नाराजगी है। मतदाताओं में आदिवासियों की संख्या सर्वाधिक है। इसके बाद सामान्य वर्ग के मतदाताओं का क्रम आता है। भाजपा ने इस बार भी महेश गागड़ा को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस के विक्रम मंडावी प्रत्याशी हैं। बीजापुर क्षेत्र में एंटीइंकम्बेंसी का असर प्रभावी है। इसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है। किंतु आप पार्टी, जकांछ (जोगी),भाजपा और समाजवादी पार्टी की उपस्थिति का नुकसान कांग्रेस और भाजपा दोनों को होगा।

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अनुमानत: चार से पांच हजार वोट के नुकसान की आशंका है। भाजपा-कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी से पुनेम संतोष, भाकपा से कमलेश झाड़ी तथा जकांछ (जोगी) से संकनी चन्दै्रया सक्रिय हैं। तीन राष्ट्रीय दलों के नेताओं की सक्रियता से विजयी प्रत्याशी के मतों का आकलन करना असंभव प्रतीत होने लगा है। राज्य सरकार द्वारा क्षेत्र में मिंगाचल नदी में पुल, जिला अस्पताल का नवनिर्माण तथा गीदम से बीजापुर तक किया गया सडक़ निर्माण प्रमुख कार्य है। वर्तमान में वहांकी जनता क्षेत्र में संचालित दूरसंचार व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, अंदरुनी इलाकों में सडक़ों का निर्माण कराने एवं नक्सलवाद को निमंत्रण करने की अपेक्षा करती है।

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क्षेत्र में बीजापुर के अलावा मद्देड़, भोपालपटनम, कुटरु, गंगालूर, आवापल्ली, उसूर, फरसेगढ़, भैरमगढ़, जांगला एवं तोयनार ऐसे स्थान हैं जहां की जनसंख्या जागरुक मतदाताओं की है, जो परिणाम को प्रभावित करते हैं। इस बार सरकार की चुनावी वादाखिलाफी, संचार प्रणाली में व्यापक सुधार की मांग एवं बिजली व्यवस्था में सुधार चुनावी मुद्दे बन सकते हैं। अंचल में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का प्रभाव उत्कृष्ट है इसका लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिल सकता है।

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अब देखना है कि आप भाकपा सपा और जकांछ (जोगी)की चौकड़ी भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशी को कितना नुकसान पहुंचा सकेगी? वैसे वहां की जनता की माने तो इस क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी और वर्तमान वन मंत्री महेश गागड़ा की अनुपस्थिति एवं व्यवहार को लेकर नाराजगी है। यह नाराजगी अगर उनके विरोधी मत के रुप में परिवर्तित हो गए तो प्रतिदृन्द्वी पार्टी कांग्रेस को लाभ मिल सकता है कि कुछ अन्य दलों के मत विभाजन का असर कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों पर पड़ेगा। इसलिए चुनाव परिणाम के दौरान विजयश्री का ताज किस पार्टी को मिलेगा कुछ भी कहा नहीं जा सकता।

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