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जब आधी रात को इनके घर के बाहर ही ठंड में सो गए थे पीएम मोदी, नहीं कि खुद की परवाह

नमस्कार दोस्तों, हमारे चैनल में आपका बहुत-बहुत स्वागत है। दोस्तों पीएम मोदी एक ऐसी शख्सियत हैं जो औरों से कहीं अलग स्थान रखती है। आज वो हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं मगर एक समय ऐसा भी था जब मोदी का जीवन काफी अभावों से जूझ रहा था। आज हम आपको कुछ ऐसे ही किस्से बताने जा रहे हैं। बात उन दिनों की है जब नरेंद्र मोदी संघ में प्रचारक हुआ करते थे। वह गुजरात के संघ कार्यकर्ता महेश दीक्षित के घर आते रहते थे। ठंडी का मौसम था। एक रोज वह रात में देर से घर पहुंचे। दीक्षित और उनकी पत्नी सो चुके थे। घर के बाहर पोर्च में एक लकड़ी का बोर्ड पड़ा हुआ था। मोदी ने अपना झोला खूंटी पर लटका दिया और उसी लकड़ी के बोर्ड पर सो गए। सुबह जब दीक्षित सूर्य देवता को अर्घ्य देने बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि कोई सोया हुआ है। पूजा के बाद जब उन्होंने पास जाकर देखा तो नरेंद्र मोदी बोर्ड पर सोए हुए थे।

महेश दीक्षित ने उनसे पुछा नरेंद्र ‘भाई, आपने ऐसा क्यों किया। इतनी ठंडी में आप बाहर सोए।’ नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया, ‘मैं आधी रात को आया था। मैं इतनी रात को आपको उठाऊं, आप उठ तो जाएंगे लेकिन मेरे घर में आने के बाद मेरी बहन की तकलीफ शुरू हो जाती। मेरे लिए क्या खाना है, क्या व्यवस्था करनी है। मेरी व्यवस्था में पूरी रात उसकी निकल जाएगी। इसी वजह से मैंने आपको नहीं उठाया। मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से मेरी बहन को कोई तकलीफ हो। इतना सुनते ही महेश दीक्षित की आँखों में आंसू आ गए, उन्होनें नरेंद्र मोदी को उठाया अंदर लेजाकर हाथ-मुँह धुलकर उनके स्नान की व्यवस्था की फिर उन्हें विदा किया। तो इस तरह से पीएम खुद से ज़्यादा औरों के बारे में सोचने वाले के तौर पर जाने जाते हैं, दोस्तों क्या आपको भी लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह परोपकारिता आज भी उनमें प्रासंगिक है ?

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