छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया. इस धर्म संसद के मंच पर महाराष्ट्र से आए कालीचरण महाराज ने इस्लाम और महात्मा गांधी के बारे में ऐसी भड़ास निकाली कि पूरा देश हिल गया. हालांकि इसी धर्म संसद में ऐसे लोग ज्यादा थे, जिन्होने कालीचरण महाराज की बातों पर तो खूब तालियां बजाईं, लेकिन इसका जबाव दे रहे महंत राम सुंदर दास को एक्का-दुक्का ही ताली नसीब हुईं.
वैसे हम आपको कालीचरण महाराज के बारे में तो पहले ही बता चुके हैं. आइए अब कालीचरण महाराज को जवाब देने वाले महंत के बारे में आपको बताते हैं. धर्म के साथ-साथ महंत रामसुदंर दास का राजनीति से भी गहरा लगाव है. कांग्रेस पार्टी से वह विधायक भी रह चुके हैं. फिलहाल वे छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष हैं. सीएम भूपेश बघेल से उनकी नजदीकियां भी खूब हैं. महंत रामसुंदर दास हमेशा सीएम भूपेश बघेल के साथ कार्यक्रमों में नजर आते हैं.
कौन हैं महंत राम सुंदर दास ?
जांजगीर-चांपा जिले के पिहरीद गांव में जन्मे रामसुंदर दास अपने बाल्यकाल में ही रायपुर आ गए थे. यहां के ऐतिहासिक दूधाधारी मठ में रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई लिखाई की. इसके साथ-साथ धार्मिक कार्यों में रहते हुए मठ में काम किया. बताया जाता है कि रामसुंदर दास बेहतर ज्ञान और निस्वार्थ भावना के लिए जाने जाते हैं. राम सुंदर दास ने संस्कृत में एमए किया है. साथ ही साहित्य आचार्य की उपाधि लेने के बाद पीएचडी भी की है.
पीएचडी में उनका विषय रामायण कालीन ऋषि मुनियों का तुलनात्मक अध्ययन रहा है. मठ के प्रति उनकी निस्वार्थ भावना को देखते हुए उस वक्त के तत्कालीन महंत वैष्णव दास ने उन्हें प्रभावित होकर अपने बाद मठ उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था. महंत वैष्णव दास के देहांत के बाद मठ संचालन महंत रामसुंदर दास करने लगे.
महंत रहते हुए राम सुंदर दास ने 2003 में छत्तीसगढ़ के पामगढ़ से विधानसभा का चुनाव लड़ा. उस वक्त उन्हें जीत हासिल हुई थी। इसके बाद उन्होंने 2008 में जैजैपुर से चुनाव लड़कर जीत हासिल की. हालांकि 2013 में वे इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए. महंत रामसुंदर दास कांग्रेस पार्टी से पूर्व में विधायक रहे और वर्तमान में कांग्रेस की भूपेश सरकार बनने के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया. विधानसभा में महंत सुंदरदास जब बोलते थे कि सत्ता और विपक्ष के लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते थे.
देश के ज्यादातर धर्म से जुड़े संत, महात्मा भले ही खुलकर न बोलें, लेकिन वे अंदरूनी तौर पर भाजपा को ही पसंद करते हैं. लेकिन महंत राम सुंदर दास उन चुनिंदा संतों में से एक हैं, जो भाजपा और भाजपा की विचारधारा से दूरी बनाकर ही रखते हैं. यही वजह है कि जब कालीचरण महाराज ने धर्म संसद के मंच से आपत्तिजनक बातें कहीं, तो राम सुंदर दास के सिवाय किसी और संत ने खुलकर इसका विरोध नहीं किया.
अब फैसला आप ही करिये कि किस तरह के संतों के मार्ग दर्शन में ये देश एकजुट होकर चल सकता है. संत कालीचरण महाराज जैसे, या फिर महंत राम सुंदर दास जैसे ?