
बीजापुर मुठभेड़ स्थल से सुरक्षाबलों ने कुंजाम सुक्का नाम के एक आदिवासी को अपने कब्जे में ले लिया था। नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह को छोड़ने के बदले इस आदिवासी की रिहाई की शर्त रखी थी। इस डील का खुलासा तब हुआ जब राकेश्वर की रिहाई के लिए एक टीम मध्यस्थों के साथ नक्सलियों के गढ़ में पहुंची। CRPF कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को छुड़ाने के लिए सरकार और नक्सलियों के बीच एक सीक्रेट डील हुई थी। सुरक्षा बलों ने कुंजाम सुक्का को मध्यस्थों के साथ नक्सलियों के पास भेजा। इसका हैंडओवर मिलने के बाद ही नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह को मध्यस्थों के हवाले किया।
आपको बता दें कि 5 दिनों से नक्सलियों के कब्जे में रहे कमांडो को जब छोड़ा जा रहा था, वहां करीब 40 नक्सली मौजूद थे। बीजापुर जिले के जोनागुड़ा गांव से 15 किलोमीटर अंदर के इलाके में CRPF के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को रखा गया था। गुरुवार दोपहर उन्हें प्रशासन की तरफ से तय मध्यस्थों और एक टीम को सौंप दिया गया। कमांडो की रिहाई हो रही थी तो बीजापुर और सुकमा के कुछ पत्रकार भी वहां मौजूद थे। इस दौरान आसपास के 20 गांव के लोगों को बुलाया गया। जब
बीजापुर जिला मुख्यालय से यह जगह करीब 80 से 85 किलोमीटर दूर है। ग्रामीणों की भीड़ के बीच करीब दो से तीन घंटे के तनाव भरे माहौल के बाद कमांडो राकेश्वर को छोड़ा गया। यहां पहुंचने के बाद और करीब 15 किलोमीटर अंदर हम गए। शाम 5 से 6 बजे के करीब जवान को तर्रेम थाना लेकर आया गया, जिसके बाद उन्हें पुलिस और CRPF के हवाले किया गया।
जवान को लाने के बाद कुछ नक्सलियों ने पूरे इलाके को घेर लिया। कुछ ने जवान तो कुछ ने मध्यस्थता करने वालों को घेरा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये नक्सली पामेड एरिया कमेटी के थे। इनके साथ एक महिला नक्सली थी जो पूरे नक्सलियों को लीड कर रही थी। आते ही नक्सलियों ने पत्रकारों से कह दिया कि कोई भी कैमरा ऑन नहीं करेगा। नक्सलियों ने वार्ता करने आई आदिवासी समाज की तेलम बौरैया और सुखमति हक्का को बुलाकर कुछ देर बातें कीं।
नक्सलियों की महिला लीडर ने हम इन्हें पत्रकारों को सौंप रहे हैं, ताकि ये इन्हें लेकर कैंप तक जाएं, रास्ते में इन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। काफी देर तक सभी इंतजार करते रहे, फिर जवान को रिहा किया। जब जवान को छोड़ा जाने लगा तो आग्रह करने पर मीडिया को वीडियो बनाने की अनुमति दी।
रिहाई के समय मौजूद लोगों ने बताया कि गांव के लोगों ने नक्सलियों से कहना शुरू कर दिया था कि जवान को छोड़कर वो गलती कर रहे हैं, इसे मत छोड़ो, मत रिहा करो। जवान को छोड़ने के वक्त शाम को करीब 4 बजे के आसपास पूरे ग्रामीण आक्रोशित हो गए थे। हंगामा बढ़ता, इससे पहले ही जवान और मध्यस्थों के साथ पत्रकार बाइक में सवार होकर निकल गए।