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“एक हिंदू जनरल के सामने 90 हजार सैनिकों ने हथियार डाल दिए”—फजलुर रहमान के बयान ने पाकिस्तान में मचाया भूचाल

पाकिस्तान की सियासत में एक ऐसा धमाका हुआ है, जिसने वहां के करोड़ों लोगों को चौंका दिया है। बयान सामने आया है जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख और पूर्व सांसद फ़ज़ल-उर-रहमान का—वही नेता जिन्हें पाकिस्तान में लोग उनकी उकसाने वाली शैली की वजह से ‘मौलाना डीज़ल’ कहकर बुलाते हैं।
लेकिन इस बार उन्होंने अपने ही देश की नींव हिलाने वाली बात कह दी।

फ़ज़ल-उर-रहमान ने खुले मंच पर स्वीकार किया कि 1971 की जंग में पाकिस्तान ने एक भारतीय हिंदू जनरल के सामने 90 हजार सैनिकों समेत सरेंडर कर दिया था। उन्होंने कहा कि इसी दिन पाकिस्तान की “इज्जत मिट्टी में मिल गई” और दुनिया के सामने उसका असली चेहरा उजागर हो गया।

रहमान यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने देश को इस हालत में पहुंचाया, वे खुद को आज “नायक” साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता अब सब कुछ जानती है और उन्हें झांसा नहीं दिया जा सकता।

फ़ज़ल-उर-रहमान पहले भी पाकिस्तान की सत्ता और सेना पर तीखे हमले करते रहे हैं। संसद में खड़े होकर उन्होंने बलूचिस्तान को लेकर बड़ा दावा किया था कि कई जिले खुद को आज़ाद घोषित कर रहे हैं, और अगर यह सिलसिला ऐसे ही चला तो संयुक्त राष्ट्र भी बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र देश मान सकता है।
उनके मुताबिक, अगर ऐसा हुआ तो पाकिस्तान का नक्शा उसी तरह बदल जाएगा जैसे 1971 में टूटा था।

पाकिस्तान की राजनीति में रहमान का यह नया “सच” अब वहां के मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर आग की तरह फैल रहा है—क्योंकि इसे सुनकर देश का हर नागरिक सिर्फ एक सवाल पूछ रहा है: क्या पाकिस्तान सच से डर रहा है या किसी नए तूफान की आहट हो चुकी है?

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