
रायपुर
- शासन के महाधिवक्ता कनक तिवारी ने 28 फरवरी को 8 पैनल लॉयर नियुक्त किए थे. पैनल लॉयर में एक नाम बीजेपी के शरद मिश्रा का भी है.
- मामला यहीं तक रहता तो ठीक था. शरद मिश्रा अपनी नियुक्ति के बाद बीजेपी के कद्दावर नेता राजेश मूणत के पक्ष में हाईकोर्ट में 12 मार्च को सरकार के खिलाफ ही खड़े हो गये.
- इस मामले को भारतीय जनता पार्टी ने महाधिवक्ता से सफाई मांगी है.
- जबकि कांग्रेस के नेता इस फैसले पर के खुलकर नहीं लेकिन दबी जु़बान में इस निर्णय पर हैरानी जता रहे हैं.
- इस घटना के बाद सरकार के इस फैसले की जमकर किरकिरी हो रही है. व्हाट्सअप और सोशल मीडिया पर इस प्रकरण पर खूब चर्चा हो रही है.
- पैनल लॉयर की नियुक्ति और केस लड़ने वाला दस्तावेज़ सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.
- कांग्रेस के नेता दबी ज़ुबान में बीजेपी नेता की नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं. शरद मिश्रा के पिता रमाकान्त मिश्रा बीजेपी सरकार के समय एडीजी और पार्टी में विधि विभाग के प्रभारी रह चुके हैं.
- रमाकांत मिश्रा पूर्व मंत्री राजेश मूणत का अंतागढ़ मामले में केस भी लड़ रहे हैं.
- सोशल मीडिया में इस बात पर आश्चर्य जताया गया कि कैसे एक आरएसएस की पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति को कांग्रेस की सरकार में सरकार की ओर से बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई.
- कहा जा रहा है कि महाधिवक्ता को पैनल लायर्स नियुक्ति करने का अधिकार नहीं है. नियुक्ति का अधिकार विधि सचिव को है. हाईकोर्ट में एजी की टीम में कई ऐसे लोगों की नियुक्ति हुई है.
- जो भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं या उनके नज़दीक रहे हैं. चूंकि नियुक्ति पदों को लेकर है. इसलिए पार्टी की निष्ठा को लेकर वे खुलकर सवाल नहीं उठा सकते. ये नियुक्तियां उस वक्त हो रही हैं जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आरएसएस की विचारधारा को लगातार निशाना बना रहे हैं.
- बताया जाता है सरकारी वकील और पैनल वकीलों की नियुक्ति में कई आरएसएस के लोग आ चुके हैं. इस बात की शिकायत मुख्यमन्त्री भूपेश बघेल से करने की तैयारी भी कई कांग्रेसी कर चुके हैं.
- इस नियुक्ति के बारे में जब हमने शारद मिश्रा से बात की तो उन्हें सरकार की ओर से अपनी नियुक्ति की कोई आधाकारिक जानकारी नहीं है.
- जबकि बीजेपी के विधि प्रकोष्ठ के संयोजक नरेश गुप्ता ने कहा कि ऐसी कोई नियुक्ति आदेश महाधिवक्ता कनक तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी से संबंधित अधिवक्ता शरद मिश्रा को प्रदान नहीं की है.
- न ही उनसे पूर्व में कोई स्वीकृति ली है. ये कांग्रेस का षड्यंत्र है. महाधिवक्ता को इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना चाहिए.
- जब हमने इस मामले में महाधिवक्ता कनक तिवारी से बात करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया. जब इस बारे में एडीजी सतीश चंद्र वर्मा से बात की गई तो उन्होंने इस प्रकरण के बारे में जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए कुछ और बोलने से मना कर दिया.