
रायपुर। 21 अप्रैल 2025 की सुबह जम्मू-कश्मीर की बैसरन घाटी सूरज की रोशनी से नहीं, गोलियों की गूंज से जगी। वह घाटी, जो अक्सर अपने हरे-भरे मैदानों और सैलानियों की चहलकदमी के लिए जानी जाती थी, आज खून से लाल हो चुकी है। 30 निर्दोष जानें चली गईं। 20 से ज़्यादा लोग ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। और इस हमले की जिम्मेदारी ली है—आतंकी संगठन टीआरएफ ने। ये वही ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ है, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक छद्म चेहरा है। लेकिन जो नाम सबसे ज़्यादा डराता है, वो है सैफुल्लाह खालिद। वही सैफुल्लाह, जिसे पाकिस्तान में कुछ लोग ‘कसूरी’ कहते हैं। हाफिज सईद का करीबी, लश्कर का डिप्टी चीफ और अब इस हमले का मास्टरमाइंड वही बताया जा रहा है ।
सैफुल्लाह कोई छिपा चेहरा नहीं है। वो पाकिस्तान में खुलेआम घूमता है। कंगनपुर में उसे जिहादी भाषण देने के लिए पाक सेना ने बुलाया। कर्नल जाहिद जरीन खटक ने खुद उसका स्वागत किया। ये वही सैफुल्लाह है, जो कहता है – 2 फरवरी 2026 तक कश्मीर आज़ाद होगा । खैबर पख्तूनख्वा की एक सभा में, हथियारबंद आतंकियों के बीच सैफुल्लाह ने ऐलान किया – “अब हमला होगा हर मोर्चे पर। भारत को नहीं पता, पर उसकी ज़मीन हमारे निशाने पर है।”
खुफिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि एबटाबाद के जंगलों में लश्कर ने टारगेट किलिंग की ट्रेनिंग दी। टीआरएफ को आईएसआई ने बनाया, और फंडिंग लश्कर से होती है।
बैसरन की वादियाँ आज खामोश हैं । मगर भारत खामोश नहीं रहेगा। ये दर्द ज़िंदा है, और इसका जवाब ज़रूर मिलेगा। बस थोड़ा इंतजार करना होगा ।