खंडवाचुनावी चौपालमध्यप्रदेश

khandwa उपचुनाव में कौन पड़ेगा किसपर भारी, देखिये पता चल जाएगा, ‘शिव का राज’ या कमलनाथ ?

मध्य प्रदेश की 3 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव का रंग अब जमने लगा है. राजनीतिक दलों की रोज नई-नई रणनीतियां सामने आ रही हैं. जोबट और पृथ्वीपुर कांग्रेस विधायकों के निधन से खाली हुई है. खंडवा लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट प्रदेश की उन सीटों में से है, जिस पर भाजपा का दबदबा रहा है.

खंडवा लोकसभा सीट से सांसद नंदकुमार चौहान सबसे ज्यादा बार जीतने वाले सांसद हैं, इस सीट पर 1980 के बाद पहली बार उपचुनाव हो रहा है. खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव और बागली शामिल हैं. फिलहाल इन 8 विधानसभा सीटों में से तीन पर बीजेपी, चार पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने कब्जा जमाया है.

1996 में नंदकुमार सिंह चौहान ने यहां कमल खिला दिया. इसके बाद वे अगले 3 चुनाव भी जीतने में कामयाब रहे, लेकिन 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अरूण यादव ने हरा दिया. इसके बाद 2014 की मोदी लहर में नंदू भैया फिर खंडवा से सांसद बन गए । मतलब पिछले पांच में से 4 बार ये सीट भाजपा के पास रही है.

खंडवा लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने ज्ञानेश्वर पाटिल पर भरोसा जताया है. जबकि कांग्रेस ने यहां 70 साल के राजनारायणसिंह पुरनी को उम्मीदवार घोषित किया है । ठाकुर राजनारायण सिंह कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के करीबी माने जाते हैं.

इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 19 लाख 68 हजार है. इसमें से ओबीसी 5 लाख 16 हजार हैं, जबकि जातीय समीकरण के गणित से देखें तो एसी-एसटी वर्ग के वोटर सबसे ज्यादा 7 लाख 68 हजार हैं. खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं. जिनमें से 3 विधानसभा क्षेत्रों में आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में है.

कुल मिलाकर यहां दोनों ही पार्टियों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा, हालांकि पिछले चुनाव में इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस को 2.72 लाख वोटों के बड़े अंतर से हराया था. लिहाजा यहां फिलहाल पलड़ा भाजपा का ही भारी नजर आता है । आपको क्या लगता है, आप भी अपनी राय कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं.

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