रायपुर। किसी भी प्रदेश में कानून व्यवस्था को अगर दुरुस्थ करना है, तो पुलिस को सख्ती के साथ संवाद भी बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर सिर्फ सख्ती होगी तो आम लोगों में गुस्सा बढ़ेगा, और अगर पुलिस सिर्फ संवाद ही करती रहेगी तो पीड़ित पक्ष में नाराजगी बढ़ सकती है, लिहाजा पुलिस को अगर कानून व्यवस्था दुरुस्त रखना है, तो पुलिस को सख्ती और संवाद के साथ ही काम करना जरूरी होता है.
और आज इस वीडियो में हम कवर्धा की कानून व्यवस्था के बारे में बात करेंगे, कि कैसे लोहारीडीह के मामले को पुलिस ने हलके में लिया और आगजनी की घटना के फौरन बाद सख्ती दिखाई, जिसकी वजह से पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया है ।
अगर अगर बात हम एसपी अभिषेक पल्लव की करें तो वे एक ऐसे अफसर हैं जो पूरे देश में अपनी सॉफ्ट छबि के लिए जाने जाते हैं, भले फिर वो अपराधी ही क्यों न हो, वे अपराधियों के साथ भी बेहतर संवाद स्थापित कर उससे कैमरे के सामने ही वो सारी बातें उगलवा लेते हैं, जिसे अपराधी शायद ही बताना चाहता होगा.
लेकिन कवर्धा के लोहारीडीह मामले में उनका संवाद काम नहीं आया और उन्होने और उनकी टीम ने आनन फानन में और जोश में आकर ऐसी-ऐसी गलतियां कर दीं, जिसकी वजह से पूरी पुलिस ही आम जनता के निशाने पर आ गई.
और एक बात तो तय है कि जनता जब अपना रौद्र रूप दिखाती है तो फिर भले वो कितना भी बड़ा नेता हो या फिर अधिकारी, वो किसी को नहीं बख्शती क्योंकि इसी जनता की भावनाओं का खयाल रखना और पीड़ित को न्याय दिलाना ही नेता और अधिकारी का काम होता है ।
अब कबीरधाम के लोहारीडीह में पुलिस की उन गलतियों पर बात करते हैं, जिसकी वजह से आज एसपी अभिषेक पल्लव को सीएम ने उनके जिले से हटाकर मुख्यालय भेज दिया है ।
इस मामले में सबसे पहले तो पुलिस का पूरा इंटेलीजेंस फेल दिखाई दिया, पुलिस मृतक उप सरपंच रघुनाथ साहू और शिवप्रकाश साहू के बीच चली आ रही रंजिश को हलके में लेने की गलती कर बैठी, क्योंकि ये दोनों ही सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक्टिव थे और उनके बीच के मतभेद कभी भी विस्फोटक रूप ले सकते थे. लिहाजा पुलिसिंग के साथ साथ पुलिस यहां संवाद करने में विफल दिखाई दी.
किसी भी प्रदेश में कानून व्यवस्था को अगर दुरुस्थ करना है, तो पुलिस को सख्ती के साथ संवाद भी बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर सिर्फ सख्ती होगी तो आम लोगों में गुस्सा बढ़ेगा, और अगर पुलिस सिर्फ संवाद ही करती रहेगी तो पीड़ित पक्ष में नाराजगी बढ़ सकती है, लिहाजा पुलिस को अगर कानून व्यवस्था दुरुस्त रखना है, तो पुलिस को सख्ती और संवाद के साथ ही काम करना जरूरी होता है.
और आज इस वीडियो में हम कवर्धा की कानून व्यवस्था के बारे में बात करेंगे, कि कैसे लोहारीडीह के मामले को पुलिस ने हलके में लिया और आगजनी की घटना के फौरन बाद सख्ती दिखाई, जिसकी वजह से पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया है.अगर बात हम एसपी अभिषेक पल्लव की करें तो वे एक ऐसे अफसर हैं जो पूरे देश में अपनी सॉफ्ट छबि के लिए जाने जाते हैं, भले फिर वो अपराधी ही क्यों न हो, वे अपराधियों के साथ भी बेहतर संवाद स्थापित कर उससे कैमरे के सामने ही वो सारी बातें उगलवा लेते हैं, जिसे अपराधी शायद ही बताना चाहता होगा.
लेकिन कवर्धा के लोहारीडीह मामले में उनका संवाद काम नहीं आया और उन्होने और उनकी टीम ने आनन फानन में और जोश में आकर ऐसी-ऐसी गलतियां कर दीं, जिसकी वजह से पूरी पुलिस ही आम जनता के निशाने पर आ गई. और एक बात तो तय है कि जनता जब अपना रौद्र रूप दिखाती है तो फिर भले वो कितना भी बड़ा नेता हो या फिर अधिकारी, वो किसी को नहीं बख्शती. क्योंकि इसी जनता की भावनाओं का खयाल रखना और पीड़ित को न्याय दिलाना ही नेता और अधिकारी का काम होता है.
अब कबीरधाम के लोहारीडीह में पुलिस की उन गलतियों पर बात करते हैं, जिसकी वजह से आज एसपी अभिषेक पल्लव को सीएम ने उनके जिले से हटाकर मुख्यालय भेज दिया है.इस मामले में सबसे पहले तो पुलिस का पूरा इंटेलीजेंस फेल दिखाई दिया, पुलिस मृतक उप सरपंच रघुनाथ साहू और शिवप्रकाश साहू के बीच चली आ रही रंजिश को हलके में लेने की गलती कर बैठी, क्योंकि ये दोनों ही सामाजिक और राजनीतिक रूप से एक्टिव थे और उनके बीच के मतभेद कभी भी विस्फोटक रूप ले सकते थे. लिहाजा पुलिसिंग के साथ साथ पुलिस यहां संवाद करने में विफल दिखाई दी.
पुलिस का इंटेलीजेंस और संवाद तब भी फेल दिखा जब शिवप्रकाश की लाश एक पेड़ पर झूलती हुई दिखी, शिवप्रकाश की मौत की वजह भले ही सामने नहीं आई हो लेकिन अगर पुलिस मामले की गंभीरता को समझते हुए पहले सक्रीय हो जाती और मृतक पक्ष से संवाद स्थापित कर उन्हें समझाने की कोशिश करते हुए, रघुनाथ और उसके परिवार को एहतियातन तौर पर पहले ही मृतक रघुनाथ साहू और उसके परिवार को मामले की गंभीरता को देखते हुए गांव से बाहर ले जाती तो इतनी बड़ी वारदात होने से रोकी जा सकती थी.
पुलिस की तीसरी सबसे बड़ी गलती तब भी हो गई जब शिवप्रकाश की मौत के बाद आगजनी में रघुनाथ साहू की मौत हो गई और उसके बाद पुलिस ने बेहद सख्त रुख अपनाते हुए भीड़ पर कार्रवाई की, जिसके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए, जिसकी वजह से पुलिस के खिलाफ लोगों का गुस्सा और भी भड़क गया. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में तो खुद अभिषेक पल्लव के सामने एक नाबालिग बच्ची को महिला पुलिस पीटते हुए दिखाई दे रही है, इस वीडियो का असर न सिर्फ कवर्धा बल्कि पूरे प्रदेश में हुआ और आम जनता ने भी पुलिस की इस कार्रवाई को बर्बरता पूर्ण बताया.
पुलिस ने आगजनी की घटना के बाद राजनीतिक दवाब में आम लोगों पर इतना सख्त रुख अपनाया या फिर एसपी अभिषेक पल्लव ने इस मामले को संभालने के लिए अपनी ही कोई रणनीति बनाई थी, इसका तो पता नहीं लेकिन आम जनता पर लाठियां बरसाना पुलिस को भारी पड़ गया, और इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई पर आखिरी सबसे बड़ा दाग तब लग गया, जब पुलिस की कस्टडी में प्रशांत साहू नाम के एक युवक की मौत हो गई, और उसके शरीर पर दिख रहे चोटों के निशान ने न सिर्फ एसपी अभिषेक पल्लव के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए बल्कि पूरी पुलिसिया कार्रवाई ही कठघरे में आ गई .
और सबसे बड़ी बात ये रही कि पुलिस की सख्ती इतनी जल्दबाजी में हुई कि उसके खिलाफ आम जनता का गुस्सा बढ़ता ही चला गया, और विपक्ष ने भी इसको भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हालांकि सीएम विष्णुदेव साय के कड़े रुख के चलते कुछ हद तक ये मामला अब शांत नजर आ रहा है.वैसे इस पूरे मामले में आप किसकी गलती मानते है, और सरकार और पुलिस के साथ विपक्ष की भूमिका को किस तरह से देखते हैं, अपनी राय भी जरूर कमेंट करें.