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BSF जवान पूनम कुमार श को 20 दिन बाद पाकिस्तान ने रिहा किया, ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदला पाक का रुख

पाकिस्तान की कैद से बीएसएफ हेड कॉन्स्टेबल पूनम कुमार श की रिहाई ने पूरे देश को राहत दी है। करीब 20 दिन पहले ड्यूटी के दौरान अनजाने में पाकिस्तान की सीमा में चले जाने के बाद उन्हें पाक रेंजर्स ने पकड़ लिया था। लंबे राजनयिक प्रयासों और भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने आखिरकार नरमी दिखाई और अटारी-वाघा बॉर्डर पर उन्हें भारत को सौंप दिया।

कैसे हुई गलती?

यह घटना पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर की है। हेड कॉन्स्टेबल पूनम कुमार श खेतों की सुरक्षा के लिए गश्त पर थे। इंटरनेशनल बाउंड्री और फेंसिंग के बीच कुछ खेत आते हैं जहां भारतीय जवानों को नियमित गश्त करनी होती है।
पूनम कुमार एक पेड़ की छांव में आराम करने के लिए बैठे, लेकिन उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि वह पेड़ पाकिस्तान की सीमा के भीतर है। वहां कोई स्पष्ट फेंसिंग नहीं थी, केवल बाउंड्री पिलर थे जो 100-100 मीटर की दूरी पर लगे होते हैं।

पाकिस्तान की पकड़ और भारत की कोशिश

गलती से सीमा पार करने के कुछ मिनटों बाद ही पाक रेंजर्स ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद भारत ने उनकी वापसी के लिए तीन फ्लैग मीटिंग कीं। लेकिन पाकिस्तान लगातार आना-कानी करता रहा। इस बीच भारत ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ढांचे पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू कर दिया, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बना। अंततः भारत का सख्त रुख और कूटनीतिक प्रयास सफल रहे, और जवान को रिहा कर दिया गया।

परिवार की आंखों में आंसू

जवान की रिहाई की खबर मिलते ही उनके पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिसड़ा स्थित घर में खुशी की लहर दौड़ गई। उनकी गर्भवती पत्नी रजनी पिछले कई दिनों से बीएसएफ अधिकारियों के संपर्क में थीं। उन्होंने खुद फिरोजपुर पहुंचकर अधिकारियों से अपने पति की वापसी की गुहार लगाई थी।
उनके 7 साल के बेटे और पूरे परिवार ने पिछले 20 दिन बेहद तनाव में गुजारे। रजनी ने कहा था,”मेरे पति 17 साल से देश की सेवा कर रहे हैं, केंद्र सरकार से बस एक ही विनती है – उन्हें सही सलामत वापस लाया जाए।” अब परिवार खुश है, लेकिन परिवार चाहता है कि जल्द ही मानसिक रूप से तैयार होकर पूनम कुमार फिर से देश की सेवा में जुट जाएं ।

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