
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में आज पर्यावरण और शिक्षा के संगम का अद्भुत नज़ारा देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषक सभागार में आयोजित “फाइट अगेंस्ट ग्लोबल वार्मिंग कैंपेन” कार्यक्रम में भाग लिया।
मुख्यमंत्री साय ने अपने जोशीले संबोधन में कहा कि शिक्षा ही विकास की बुनियाद है और यह देश को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाने की पहली सीढ़ी है। उन्होंने निजी शिक्षण संस्थानों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनके योगदान के बिना शिक्षा का इतना व्यापक विस्तार संभव नहीं था।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विज़न का ज़िक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने भी “विकसित छत्तीसगढ़” का रोडमैप तैयार किया है, जो तेज़ी से मूर्त रूप ले रहा है।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य की 25 साल की यात्रा को भी याद किया और कहा कि छत्तीसगढ़ ने रजत जयंती तक आते-आते IIT, IIM और AIIMS जैसे संस्थानों की मौजूदगी से देशभर में अपनी विशेष पहचान बनाई है।
मुख्यमंत्री साय ने ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन का जो लक्ष्य रखा है, उसमें छत्तीसगढ़ की भागीदारी बेहद अहम है। उन्होंने बताया कि राज्य में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश आकर्षित किया गया है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने “एक पेड़ माँ के नाम” और “पीपल फॉर पीपुल” जैसे अभियानों की जानकारी दी और बताया कि पिछले साल चार करोड़ पौधे लगाए गए थे। साथ ही उन्होंने संघ द्वारा भविष्य में 11 लाख पीपल वृक्षारोपण के संकल्प की सराहना की।
उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता पैदा करना समय की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी एक स्वच्छ, हरित और सुरक्षित दुनिया की कल्पना को साकार कर सके।
इस प्रेरणादायक अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, अशासकीय विद्यालय संचालक संघ के प्रदेश अध्यक्ष श्री सुबोध राठी, सचिव श्री मनोज पाण्डेय सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद थे। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ राज्य अशासकीय विद्यालय संचालक संघ एवं गौ संरक्षण एवं संवर्धन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।