
- छत्तीसगढ़ में बीजेपी की पूर्व सरकार में सीएम से लेकर मंत्री तक इन दिनों कानूनी दांव पेंच में फंसे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर वो चेहरे भी हैं, जिन पर लोकसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी भी है. आखिर ये कानूनी उलझने बीजेपी के लोकसभा चुनाव प्रचार को कैसे प्रभावित कर रही है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि भाजपा के नेताओं के सामने इस बात का असमंजस है कि वे लोकसभा चुनाव की तैयारी करें, या अपने दिग्गज नेताओं पर कस रहे कानूनी शिकंजे से निपटें.
- एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव का समय नज़दीक आ रहा है, वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ बीजेपी चुनावी तैयारियों को लेकर भी हलचल है. हांलाकि पार्टी के लिए प्रदेश में दुविधाजनक स्थिति बनी हुई है कि वो चुनाव प्रचार-प्रसार को लेकर जोर लगाये या कांग्रेस सरकार ने जो उनके दिग्गज नेताओं पर जो कानूनी शिकंजा कसा है, उससे निपटे. बीजेपी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने लोकसभा चुनाव के लिए ये सब रणनीति के तहत उन्हें उलझाने की कोशिश की है. हालांकि पार्टी को चुनाव में इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
- बता दें कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद अंतागढ़ टेपकांड मामला, नान घोटाला, कथित सेक्स सीडी कांड, ई-टेंडरिंग घोटाला, झीरम घाटी नरसंहार मामले में भाजपा के कई नेताओं पर शिकंजा कसता दिख रहा है. लगभग सभी मामलों में नए सिरे से जांच की जा रही है. इसमें अलग अलग मामलों में पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, पूर्व मंत्री राजेश मूणत सहित भाजपा के कुछ नेताओं को घेरने की कोशिश की जा रही है.
- वहीं कांग्रेस ने भाजपा के इन आरोपों को सिरे से खारीज किया है. कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी का कहना है कि कांग्रेस जनता के सामने सच्चाई लाने का प्रयास कर रही है. बहरहाल विधानसभा चुनाव के जो नतीजे आये हैं, उसे कांग्रेस बरकरार रखना चाहती है. हो सकता है कि इन मामलों में उलझाना कांग्रेस की रणनीति का एक हिस्सा हो. लेकिन विधानसभा में मिली करारी हार के बाद अब लोकसभा के लिए बीजेपी को फूंक-फूंक कर कदम रखने होंगे.