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बिलासपुर : खूंटाघाट से पानी लाने की योजना पर काम फिर शुरू

बिलासपुर : विधानसभा चुनाव और खेतों में किसानों की फसल होने से अमृत मिशन योजना के तहत पाइप लाइन डालने का काम रोक दिया गया था। अब ठेकेदार को फिर काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्य पाइप डालने के बाद उसे शहर के अंदर सडक़ों की खोदाई करके पाइप बिछाने हैं। इस बार उनका पाइप महज पानी टंकी तक जाएगा, इसलिए गलियों को इस बार नहीं खोदा जाएगा।
खूंटाघाट से बिरकोना आने वाली नहर के किनारे-किनारे बांध तक पाइप लाइन डाली जा रही है। इसके जरिए बांध से पानी बिरकोना लाया जाएगा। यहां उसे फिल्टर करके लोगों को पेयजल के लिए देंगे। बारिश के दौरान नहर के किनारे खेतों में किसानों ने अपनी फसल लगा दी। ऐसे में पाइप लाइन डालने से उनकी फसल चौपट हो सकती थी।

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इसके चलते ठेकेदार को काम करने से रोक दिया गया था। इसी तरह बिरकोना फिल्टर प्लांट से शहर के अंदर पानी टंकी तक पाइप लाइन डलेगी। इसके लिए शहर के अंदर मुख्य सडक़ों को खोदना पड़ता। विधानसभा चुनाव में जहां नई सडक़ें बन रही थीं, वहां ठेकेदार को खोदाई की अनुमति देना संकट पैदा कर सकती थी। इसे देखते हुए शहर के अंदर भी उसका काम बंद था। केवल बिरकोना में फिल्टर प्लांट का निर्माण चल रहा है। चुनाव खत्म होते ही फिर एक बार ठेकेदार को अब अपना बचा हुआ काम जल्द करने के निर्देश दिए गए हैं। अब वह फिल्टर प्लांट से पानी टंकी तक पाइप लाइन डालने का काम कर पाएगा। इसके लिए उसे मुख्य सडक़ों के किनारे ही खोदाई करनी पड़ेगी। गलियां इससे प्रभावित नहीं होंगी। इसके अलावा ज्यादातर किसानों ने अपनी फसल भी काट ली है। इससे मुख्य पाइप लाइन डालने के लिए भी ठेकेदार को जगह मिल गई है। उसे खेतों में भी जहां जगह मिले पाइप डालने का काम शुरू करने होंगे।

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निगम ने दावा किया है कि इस प्रोजेक्ट के बनकर तैयार होने के बाद शहर के लोगों को आने वाले 30 सालों तक पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार की अमृत मिशन योजना के तहत इस प्रोजेक्ट को लिया गया है। बांध के पानी को पाइप लाइन के जरिए शहर से लगे बिरकोना गांव तक लाया जाएगा। वहां से उसे फिल्टर करके पेयजल के लिए सप्लाई की जाएगी। इस योजना के तैयार होने के बाद भू-जल का उपयोग पेयजल के लिए नहीं होगा। इससे शहर का जलस्तर ऊंचा होगा जो विपरीत परिस्थिति में पेयजल के काम आएगा। मालूम हो कि वर्तमान में शहर की पूरी पेयजल व्यवस्था भू-जल पर आधारित है। निगम हर साल दर्जनों की संख्या में जमीन पर छेद करता है और उसके जरिए पानी खींचकर पाइप लाइन से सप्लाई करता है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि हर साल बेतहाशा पानी खींचने से शहर का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। यही कारण है कि गर्मियों में यहां पानी का संकट खड़ा हो जाता है। नतीजतन निगम को हर साल ज्यादा गहराई में पंप कराकर पेयजल की व्यवस्था करती पड़ती है।

सीधे टंकी में चढ़ेगा पानी

नगर निगम के अमृत मिशन प्रोजेक्ट में सबसे खास यह है कि बिरकोना में पानी साफ होने के बाद उसे बिरकोना में ही ऊंचे बने टंकी तक पंप करके पहुंचाया जाएगा। इस टंकी से पानी छोडऩे पर उसका फोर्स इतना होगा कि वह शहर में बनी पानी टंकियों तक बिना पंप किए ही चढ़ जाएगा। इससे निगम को हर पानी टंकी में ऊपर पानी चढ़ाने के लिए पंप लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे बिजली बिल की भी बचत होगी।

भू-जल स्तर में लगातार गिरावट

शहर पूरी तरह से भू-जल पर निर्भर है। विशेषज्ञों की राय है कि भूकंप या अन्य कारणों से कई बार जमीन के अंदर के पानी के बहाव की दिशा बदल जाती है। ऐसा हुआ तो एकदम से शहर में पेयजल संकट की स्थिति बन जाएगी। ऐसे में सतही पानी पर निर्भरता को ही पेयजल के लिए सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। इसके अलावा लगातार पानी का दोहन करने से भू जलस्तर भी लगातार गिर रहा है।

ऐसा है प्रोजेक्ट

योजना अमृत मिशन
लागत 300 करोड़ रुपये
ठेकेदार ह्यूम पाइप
पानी आएगा खूंटाघाट बांध से
लंबाई 30 किमी
सुविधा 24 घंटे पानी
फिल्टर प्लांट बिरकोना में
बांध से ही पानी क्यों

राष्ट्रीय मानक के अनुसार पानी में टीडीएस(कुल घुलित ठोस) की मात्रा 500 एमजी प्रति लीटर होनी चाहिए। जमीन के अंदर से निकलने वाले पानी में यह मात्रा 100 से 150 एमजी तक रहता है। जबकि बहते पानी में इसकी मात्रा निर्धारित मानक के अनुसार होती है। इस तरह बांध से पानी लाना स्वास्थ्य के लिए बेहतर माना जा रहा है। पानी में कुल घुलित ठोस में कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम आदि तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। वर्तमान में आरओ वाटर को इसी लिहाज से ठीक नहीं माना जाता है।

खूंटाघाट ही एकमात्र विकल्प शहर को पेयजल की आपूर्ति के लिए शिवनाथ नदी में दगोरी के पास प्लांट लगाने की योजना भी बनी थी। वहां से पानी लाने के लिए दो जगहों पर विशाल पंप लगाने पड़ते। इन पंपों को चलाने के लिए हर माह लाखों रुपये का बिजली बिल देना पड़ता, जो निगम के लिए संभव नहीं था। इसी तरह चेकडेम में नाली का पानी आने के कारण उसे फिल्टर करना संभव नहीं है। लछनपुर डायवर्सन में इतना पानी नहीं रुकता कि उससे शहर के पेयजल की मांग को पूरा किया जा सके। ऐसे में निगम के पास केवल खूंटाघाट बांध ही एकमात्र विकल्प है।

ठेकेदार वर्तमान में फिल्टर प्लांट और टंकी निर्माण का काम कर रहा है। उसे बचे अन्य कार्यों को भी तेजी से पूरा करने के लिए कहा गया है। बांध
तक पाइप लाइन डालने में दिक्कत थी, क्योंकि किसानों की फसल खराब हो जाती। अब ज्यादातर ने अपनी फसल काट ली है। जहां भी उन्हें जगह मिले काम पूरा करने के निर्देश दिए हैं।
पीके पंचायती
ईई व प्रोजेक्ट प्रभारी, नगर निगम

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