बॉलीवुड

फिल्में मेरी जिंदगी कभी नहीं थीं : लारा दत्ता

ब्यूटी विद ब्रेन की मिसाल कही जाने वाली पूर्व मिस वर्ल्ड और अभिनेत्री लारा दत्ता अपनी जिंदगी में कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेती हैं। फैसला चाहे शादी करके घर बसाने का हो, मां बनने के बाद करियर से ब्रेक लेने या फिर बेटी सायरा के थोड़ी समझदार होने पर ग्लैमर जगत में वापसी का हो। टीवी डांस रिऐलिटी शो हाई फीवर: डांस का नया तेवर की जज के रूप में पहली बार छोटे पर्दे पर दस्तक दे रहीं लारा ने हमसे हर मुद्दे पर खुलकर बातचीत की:
टीवी शोज के ऑफर्स तो आपको पहले भी आते रहे होंगे। अब तक टीवी से दूरी और इस शो को हां करने की क्या वजह रही?
पहले टीवी शोज न करने की अलग वजहें थीं। पहले जब ऑफर्स आए तो मैं फिल्मों में व्यस्त थी। बाद में मेरी बेटी बहुत छोटी थी, जबकि टीवी ऐसा माध्यम है, जो आपका काफी समय मांगता है। इसके काम के घंटे ज्यादा लंबे होते हैं। इन वजहों से बात बन नहीं पाई। इस बार जब ऑफर आया तो चूंकि मेरी बेटी थोड़ी बड़ी हो चुकी है, तो अब मुझे थोड़ा वक्त मिलता है। दूसरे, अगर मुझे केवल एक डांस रिऐलिटी शो जज करने के लिए अप्रोच किया गया होता तो शायद मैं इनकार कर देती। इस शो की खासियत यह है कि इसमें अलग-अलग किस्म की अनोखी जोडिय़ां हिस्सा ले रही हैं। जेठ-बहू की जोड़ी है, ननद-भाभी की जोड़ी है और इन जोडिय़ों में एक अलग कहानी निकलती है। मुझे उसमें दिलचस्पी है, बाकी डांस तो वे करेंगे ही। डांस के और भी बहुत से शोज हैं, लेकिन मुझे इन जोडिय़ों के सफर के बारे में जानना ज्यादा दिलचस्प लगता है।
आपने अपनी बेटी सायरा के लिए काम से ब्रेक लिया था। अब जब आप शूटिंग के लिए बाहर जाती हैं, तब वे कैसे रिएक्ट करती हैं?
अभी तो वह मास्टर बन गई है। पहले तो उसे पता भी नहीं था कि मां करती क्या है? फिर, तीन साल की उम्र में अचानक उसकी बत्ती जल गई कि ओह, मेरी मां ये करती है। इसलिए, अभी वह समझती भी है कि मैं क्यों बाहर जा रही हूं। हां, बच्ची है तो थोड़ा सा यह भी रहता है कि जब वह स्कूल जा रही होती है और मैं उसे बताती हूं कि आज मां दिखेंगी नहीं। मां के आने से पहले तुम सो जाओगी तो कहेगी कि मां मत जाओ। तब मैं कहती हूं कि मैं नहीं जा रही हूं। तुम जा रही हो स्कूल (हंसते हुए), लेकिन वह समझती है। उसको अच्छा भी लगता है। जैसे अभी वह प्रोमो देखती है, उसे तो हमारी सारी लाइनें भी याद हो गई हैं। वह इंजॉय करती है ये सब। मैं भी कभी-कभी उसे अपने सेट पर ले आती हूं, ताकि वह देख सके, समझ सके कि क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है और फिर जब वह मुझे घर पर नहीं देखेगी तो उसे पता होगा कि ममी कर क्या रही है। मुझे लगता है कि ये जरूरी है।
मदरहुड के बाद काम से ब्रेक लेने का फैसला लेना कितना आसान था, आपने इसके लिए खुद को कैसे तैयार किया?
मेरे साथ सबसे अच्छी बात यह रही कि मैंने शादी या मदरहुड का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया। मुझे जिंदगी में जो अचीव करना था, ईश्वर की कृपा से मैंने बहुत जल्दी अचीव कर लिया था। 21 साल की उम्र में मैं मिस यूनिवर्स बन चुकी थी तो वह जो एक जुनून रहता है कि मैं कुछ कर दिखाऊं, कुछ बन दिखाऊं, वह सब मैं कर-बन चुकी, उसके बाद मैंने शादी की। मेरे पति भी एक अचीवर हैं। वह एक बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से हैं, लेकिन उन्होंने अपने दम पर नाम बनाया। इसलिए हमारे बीच एक मच्योरिटी थी। फिर, मैंने हमेशा ये कहा है कि मेरी फिल्मी दुनिया या मेरा फिल्मी करियर कभी मेरे लिए सबकुछ नहीं रहा। वह मेरी जिंदगी नहीं थी। मेरे काफी अलग-अलग आयाम हैं। मैंने एक पत्नी, एक मां बनना बहुत इंजॉय किया और मैं कभी यह अफसोस नहीं करती हूं कि ओह, तीन साल निकल गए। उन तीन सालों में जो खुशी मुझे मिली है, वह कोई और तरीके से मुझे नहीं मिल सकती।1521610308089आपको लगता है कि फीमेल ऐक्टर्स के प्रति फिल्म इंडस्ट्री की सोच भी बदल रही है?
बिल्कुल। आज कितनी फीमेल प्रड्यूसर हैं। पहले कहां था ऐसा? पहले हमारे सारे हीरो ही प्रड्यूसर्स थे। शाहरुख हो, आमिर हो, अक्षय हो। पहले, एक औरत बोले कि मेरे पास यह स्टोरी है, मैं यह फिल्म बनाना चाहती हूं और शाहरुख बोले कि मैं यह फिल्म बनाना चाहता हूं, मुझे पांच करोड़ चाहिए, तो पैसे किसे मिलेंगे यह बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन आज यह सोच बदल रही है। आज अनुष्का या दीपिका कुछ कहती हैं, तो उसे लोग अहमियत देते हैं। शादीशुदा ऐक्ट्रेसेज की बात ही ले लीजिए। मैं खुद इस साल 40 साल की होने वाली हूं। फिर भी काम कर रही हूं। पहले ऐसे मौके थे ऐक्ट्रेसेज के पास? आप 30 की हुईं और आपका करियर खत्म। आपने शादी कर ली तो घर बैठो। आज इतनी सारी ऐक्ट्रेसेज काम कर रही हैं।
इन दिनों ऐक्ट्रेसेज पर अच्छा दिखने के प्रेशर को लेकर भी बहस छिड़ी हुई है। खासकर, इसके लिए जो आर्टिफिशल तरीके, सर्जरी वगैरह का सहारा लिया जाता है। आपकी इस पर क्या राय है?
मेरी सोच यह है कि अगर मैं 21 साल की उम्र में मिस यूनिवर्स थी तो मैं चाहती हूं कि जब मैं साठ साल की हो जाऊं और किसी कमरे में आऊं, तो लोगों को ये लगना चाहिए कि हां, एक जमाने में ये औरत मिस यूनिवर्स रही होगी। यह मेरे लिए इंपॉर्टेंट है, लेकिन किस कीमत पर, ये अलग चीज है। जरूरी यह है कि आप किसकी उम्मीदों से जी रही हैं। अपनी उम्मीदों के अनुसार या दूसरे लोगों के अनुसार। फिट रहना मेरे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि मैं चाहती हूं कि मैं अपनी बच्ची की देखभाल कर सकूं। मैं उसके साथ ज्यादा समय तक रहना चाहती हूं। बाकी, मुझे नहीं फर्क पड़ता कि दूसरे मुझे मोटी बोले या पतली बोले, सर्जरी या बोटॉक्स कराने वालों को भी मैं जज नहीं करती। मैं कौन हूं फैसला सुनाने वाली, जिसको करना है करे। मुझे कभी महसूस नहीं हुआ कि मुझे बोटॉक्स करना है या कुछ और। अभी तक तो मैंने कुछ किया है नहीं, आगे जाकर मैं करूंगी या नहीं करूंगी, सोचा नहीं है। मेरे हिसाब से जिसको जो करना है वह उसकी पर्सनल चॉइस है।
सायरा का रुझान ममी के प्रफेशन की ओर ज्यादा है या पापा के? उन्हें टेनिस ज्यादा पसंद है या फिल्में?
उसकी डिफॉल्ट सेटिंग मां पर ही गई है, इसलिए उसका ध्यान मेरे प्रफेशन की तरफ ही है। वह एंटरटेनर है। उसे ऐक्टिंग करना, परफॉर्म करना अच्छा लगता है। वह आपको मिलेगी तो शुरू हो जाएगी। गाना गाएगी या कुछ न कुछ तो करेगी। हमलोग थोड़ा सा कोशिश कर रहे हैं कि अपने पापा वाले शौक भी पाले। वह टेनिस में भी अच्छी है। वह उसके डीएनए में ही है, तो उसका बैकहैंड और फोरहैंड स्ट्रॉन्ग है। हालांकि, वह सिर्फ 6 साल की है तो आगे जो करे, उसकी मर्जी है।
 

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