नई दिल्ली : 6 और बैंकों को पीसीए के हवाले कर सकता है आरबीआई

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक 6 और सरकारी बैंकों को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) कैटिगरी में डाल सकता है। अधिकारियों ने बताया कि इनमें पीएनबी, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और सिंडिकेट बैंक के नाम शामिल हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इससे वित्त मंत्रालय के कमजोर बैंकों के अच्छे कर्ज को मजबूत बैंकों को बेचने की योजना भी लटक सकती है। अगर आरबीआई अगले एक महीने में इन बैंकों को पीसीए कैटिगरी में डालता है तो ऐसे बैंकों की संख्या 17 पहुंच जाएगी। इससे पहले इलाहाबाद बैंक को मई में इस कैटिगरी में डाला गया था। बैंक से बिना रेटिंग वाले और हाई रिस्क कैटिगरी में लोन भी कम करने को कहा गया है।
कैटिगरी में डाल सकता है
देना बैंक को भी नए लोन देने से रोका गया है। वित्त मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि इन 6 बैंकों का प्रदर्शन सभी मानकों पर खराब नहीं है। इसलिए आरबीआई उनके साथ कुछ रियायत बरत सकता है। उन्होंने कहा कि अगर इन बैंकों को पीसीए कैटिगरी में नहीं डाला जाता है तो उनके हेल्दी लोन को बेचने की योजना सफल हो सकती है। उन्होंने बताया, ‘सरकार और आरबीआई के साथ इन बैंकों ने बातचीत की है और उन्होंने कहा है कि अगली एक या दो तिमाही में वे रिकवर कर जाएंगे। अगर आरबीआई पीसीए के तहत उन पर बंदिशें लगाता है तो उनके लिए जल्द रिकवर करना मुश्किल हो जाएगा।’ अधिकारी ने कहा कि आरबीआई इन बैंकों के साथ कुछ दरियादिली दिखा सकता है। कुछ बैंकों की उससे बातचीत भी हुई है।
योजना सफल हो सकती है
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अगर तीन बैंकों को भी पीसीए में डाला जाता है तो इस कैटिगरी के बैंकों के हेल्दी लोन को दूसरे सरकारी बैंकों के ग्रुप की तरफ से खरीदने की योजना लटक सकती है। उन्होंने कहा, ‘पीसीए में डाले जाने पर लोन देने को लेकर पाबंदी लग जाती है। ऐसे में बैंकों के ग्रुप की इनके हेल्दी लोन को खरीदने में दिलचस्पी कम हो सकती है।’ जिन बैंकों को पीसीए में डाला जाता है, वे ब्रान्च की संख्या नहीं बढ़ा सकते। उन्हें डिविडेंड पेमेंट रोकना पड़ता है। लोन देने पर भी कई शर्तें लगाई जाती हैं। वहीं जरूरत पडऩे पर रिजर्व बैंक ऑडिट और रिस्ट्रक्चरिंग का भी आदेश दे सकता है।