
रायपुर। रायपुर का गुलमोहर पार्क इस रविवार को बच्चों की खिलखिलाहटों की जगह चीख-पुकार और मातम का गवाह बन गया। निगम की लापरवाही ने एक 7 साल के मासूम की ज़िंदगी छीन ली। दिव्यांश… वही बच्चा जो अपने माता-पिता की आँखों का तारा था, अब सिर्फ एक नाम रह गया है।
बस्ती के लोग अभी भी उस दृश्य को भूल नहीं पा रहे जब एक-एक कर बच्चे गड्ढे में गिरते गए। गड्ढा, जो शायद वहां कभी न होना चाहिए था।
“मैं ऑफिस जा रहा था… मुझे क्या पता था मेरा बच्चा अब कभी नहीं लौटेगा”
दिव्यांश के पिता की आवाज़ भर्राई हुई थी, आँखें सूनी। बोले—”2015 में शादी के तीन साल बाद मन्नतें माँगी थीं, तब जाकर दिव्यांश हमारे जीवन में आया। एक दिन पहले साथ में भंडारा खाया था।”
पर रविवार को जैसे वक्त थम गया। दिव्यांश हमेशा के लिए चला गया।
गवाह की जुबानी – ‘बच्चा छटपटा रहा था, हम दौड़ पड़े’
तुलसी राम साहू, जो कॉलोनी में रहते हैं, ने बताया—“मैं घर के बाहर बैठा था, तभी लोगों ने कहा गड्ढे में बच्चा गिर गया है। दौड़ कर पहुंचे, तो एक बच्चा रो रहा था, दूसरा छटपटा रहा था। तीसरे की तो बस कपड़े बाहर पड़े थे।”
सीवरेज के गहरे गड्ढे में एक लड़का कूदा, दिव्यांश को बाहर लाया—but it was too late. बच्चे के मुंह से झाग निकल रहा था। अस्पताल ले गए, मगर डॉक्टर ने साफ कहा—“बचाया नहीं जा सका।”
सवालों के घेरे में प्रशासन, नोटिस जारी
घटना के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। गुलमोहर पार्क के बाहर प्रदर्शन की तैयारी चल रही है। नगर निगम के आयुक्त ने ज़ोन कमिश्नर, कार्यपालन अभियंता, सहायक अभियंता, उप अभियंता और ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस (शोकॉज) थमाया है।
लेकिन क्या ये नोटिस उस खालीपन को भर पाएंगे जो एक परिवार के दिल में हमेशा के लिए बस गया है?
एक गड्ढा—जिसे भरा नहीं गया, और एक जिंदगी—जो लौटाई नहीं जा सकती
दिव्यांश की मौत सिर्फ एक हादसा नहीं है, ये एक सिस्टम की कहानी है जहाँ बच्चों की जान से ज़्यादा अहमियत शायद किसी फाइल के दस्तखत को दी जाती है।
अब सवाल ये है—क्या ये आखिरी दिव्यांश होगा?