विदिशामध्यप्रदेश

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) में धडल्ले से हो रहा मशीनों से काम

गंज बासौदा : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने देखते देखते एक दशक से अधिक का समय हो जिस उद्देश्य को लेकर मनरेगा योजना को बनाया गया था। यह जन कल्याणकारी योजना अपने लक्ष से भटकती हुई नजर आ रही है। जिला सहित जनपद पंचायतों में मनरेगा की स्थिति बेहद खराब है। विदिशा जिले के ग्रामीण क्षेत्रो में मजदूरों को मनरेगा के तहत काम नही मिल रहा है। ग्राम पंचायतों में बैठे जिम्मेदार सरपंच-सचिव मनरेगा के कार्य मशीनों से कराते हैं और फर्जी तरीके से मस्टर – भरकर जाब कार्डधारीयों के नाम से रुपये निकालकर बंदरबाट की जाती है।

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ग्रामीण क्षेत्र में गरीब मजदूरों की हालत बहुत ही खराब और दयनीय बनी हुई है। अल्प वर्षा होने से किसानों के फसलो का रकबा भी कम है जिससे मजदूरों को काम नही मिल रहा वही गरीब मजदूरों को अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में अन्य प्रदेशों में पलायन करने पड़ रहा है। यहां विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों की अनदेखी के कारण काम मांगने वाले ग्रामीणों को काम तक नहीं मिल पा रहा है। पंचायत के कर्मचारी व पंचायतो के प्रतिनिधि मिलकर फर्जी हाजरी लगाकार रुपये निकल रहे विभागीय कर्मचारी जॉब कार्डों का लक्ष्य पूरा कर अपनी खानापूर्ति करने में लगे हुऐ है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार से जोड़ना था , इस योजना का लक्ष्य ग्रामीणों को अपने गांव से पलायन करने से रोकना था। इसके लिए शासन ने मनरेगा के तहत गांव में ही रोजगार मुहैया कराने योजना बनाई थी।

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गरीबो एवं मजदूर परिवारों को मनरेगा से रोजगार नही मिल रहा। विदिशा जिले के जनपद पंचायत बासौदा के ग्राम पंचायतों में यह योजना दम तोड़ रही है। जबकि मनरेगा के तहत काम मांगने वाले प्रत्येक व्यक्ति को काम उपलब्ध कराना है। शासनादेश के अनुसार आवेदक को अगर 15 दिवस के अंदर कार्य उपलब्ध नहीं होता है, तो उसे बेरोजगारी भत्ता विभागीय स्तर से दिलाया जाएगा। किन्तु बासौदा जनपद के ग्रामीण क्षेत्र में जानकारी के अभाव एवं पंचायत के नुमाइंदों की मनमानी के कारण आज भी गरीब मजदूर परिवारों को मनरेगा योजना में काम से वंचित रखा जा रहा है गरीब मजदूर अपने व परिवार का पेट पालने के लिए गांव से शहरों अन्य राज्यों की और पलायन करने को मजबूर है सरकारी अधिकारीगण,कर्मचारी व जिम्मेदार मनरेगा में फर्जी आंकड़ो को दर्शाकर मनरेगा योजना की सफलता को लेकर अपनी पीठ थपथपा लेते हैं। जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है, इससे विदिशा जिले के मजदूर हैरान व परेशान है।

विदिशा कलेक्टर मनरेगा के कार्यो की जांच करायें दोषी व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें एवं गरीब मजदूरों को मनरेगा में काम दिलाये जिससे मजदूरों अपने परिवार के दो वक्त की रोटी के लिए काम की तलाश में अन्य राज्यो में पलायन न करना पड़े,ग्राम पंचायतों में मनरेगा अधिनियम 2005 के अनुसार 2.5.1.3 में मशीन का उपयोग पूर्णता: वर्जित है, बावजूद इसके मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की जगह मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, मीडिया कर्मियों की टीम ने निर्माण स्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और ग्रामीणों द्वारा मशीनों से कराए जाने की पुष्टि भी की गई, कि मजदूरों को काम ना देकर मशीनों से सरपंच सचिव के द्वारा कार्य कराया गया ।

मशीनों से कराये जाने वाले कार्यों का भुगतान ग्राम पंचायत द्वारा किस मद से कराया जायेगा। क्या जनपद पंचायत बासौदा,पंचायत एवं ग्रामीण विकास के एडीशनल चीफ सेक्रेटरी भोपाल का दिनांक को जारी आदेश क्रमांक 562/ एमपीएस/-4/ ऐसे -143/ 2020 के अनुसार धारा,40-92 के कार्य वाही करने हेतु वरिष्ठ अधिकारियों के लिए प्रस्तावित क्यों नहीं की जाती है। और अगर प्रस्तावित की जाती है, तो अधिकतर मामले जांच के आभाव में लम्बित रहते हैं।

रिपोर्टर सुरेंद्र पस्तोर,

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