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हांगकांग का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाकर भारत ने रखा चीन की दुखती रग पर हाथ

नईदिल्ली, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में हांगकांग का मुद्दा उठाकर  की दुखती रख पर हाथ रख दिया है. चीन की ओर से हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित करने को लेकर भारत ने UN के सामने अपनी चिंता जताई है.

भारत का कहना है कि हांगकांग में भारी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं. ऐसे में चीन के कदम से इस वैश्विक वित्तीय केंद्र के स्वतंत्रता और स्वायत्तता को चोट पहुंचेगा. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि राजीव. के. चंदर ने कहा, “हांगकांग को बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय ने घर बनाया है. हमने हांगकांग में हो रहे घटनाक्रमों को लेकर कई चिंताजनक बातें सुनी हैं. हमें उम्मीद है इस मसले से संबंधित सभी पक्ष ध्यान देंगे और इसका बेहद गंभीरतापूर्ण तरीके से समाधान निकाला जाएगा.”

क्या है विवादित कानून ?

चीन का राष्ट्रीय सुरक्षा कानून हांगकांग में सबसे सुप्रीम कानून होगा, इस पर वहां की स्थानीय सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होगा. राज्य के अधिकारी इस कानून को लेकर किसी रोल में नहीं होंगे.

इस कानून में आतंकवाद को नई तरीके से परिभाषित करने की कोशिश की गई है. इसमें कहा गया है कि राजनीतिक उद्देश्यों के चलते दवाब बनाने के लिए किए गए प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को अगर नुकसान पहुंचाया जाता है तो इस काम को आतंकवाद की श्रेणी में रखा गया है.

इन घटनाओं के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होगा. आंतरिक मामलों में विदेशी हस्‍तक्षेप के खिलाफ, बहुत गंभीर मामले, राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए होने के संबंध में इस कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस एक्‍ट के तहत गंभीर अपराधियों को आजीवन कारावाद या न्यूनतम दस साल तक की सजा हो सकती है.

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