नासिक : गर्म चाशनी में गिरकर तीन साल की बच्ची की मौत
नासिक : महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक तीन साल की बच्ची की , गर्म चाशनी की कड़ाही में गिरकर मौत हो जाने का मामला सामने आया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बच्ची का परिवार खान-पान के कारोबार से जुड़ा हुआ है. गुलाब जामुन बनाने का ऑर्डर मिलने पर रविवार को उन्होंने पंचवटी इलाके के अपने घर में एल्युमीनियम की एक बड़ी कड़ाही में चाशनी बनाई थी.
गर्म चाशनी की कड़ाही में गिरकर मौत हो जाने का मामला सामने आया है
पंचवटी पुलिस थाना के एक अधिकारी ने बताया कि बच्ची खेलते-खेलते अचानक गर्म कड़ाही में गिर गई और बुरी तरह जल गई. उन्होंने बताया कि परिवार के सदस्य बच्ची को एक निजी अस्पताल में ले गए जहां उसकी मौत हो गई.
अधिकारी ने बताया कि बाद में बच्ची के गुस्साए रिश्तेदारों ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही करने का आरोप लगाकर वहां हंगामा किया. उन्होंने बताया कि इस बारे में एक मामला दर्ज कर लिया गया है.
2) उज्जैन : गुरुकुल की शिक्षा को भी मिलेगी दूसरे स्कूल-कॉलेजों की तरह मान्यता
उज्जैन : देश में चल रहे गुरुकुलो में पढऩे वाले स्टूडेंट्स अगर अपनी गुरुकुल की पढ़ाई कर फिर मेन स्ट्रीम सिस्टम में आना चाहें तो अब यह मुमकिन हो सकता है। कई राज्य सरकारों ने इसके लिए सहमति जताई है कि वह गुरुकुल की शिक्षा को भी दूसरे स्कूल-कॉलेजों की तरह मानने को तैयार हैं। मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तो ऐलान कर दिया है उनकी सरकार इस दिशा में काम कर रही है। हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, असम, महाराष्ट्र, उत्तराखंड में भी यह जल्द ही होने की उम्मीद है।
रजिस्ट्रेशन से होगी शुरुआत
उज्जैन में तीन दिन तक चले विराट गुरुकुल सम्मेलन में गुरुकुल कैसे चलने चाहिए और कैसे इन्हें प्रमोट किया जा सकता है इस पर लंबी चर्चा हुई। भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने बताया, सबसे पहले गुरुकुलों का रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। इसके लिए कई राज्य सरकारों से बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि गुरुकुलों में छात्रों को नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क से भी ज्यादा पढ़ाया जाता है और अगर लर्निंग आउटकम का टेस्ट लें तो गुरुकुल के स्टूडेंट्स दूसरे स्कूल-कॉलेजों के स्टूडेंट्स से आगे ही होंगे।
भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने बताया
संगठन मंत्री ने कहा, सारे गुरुकुलों का रजिस्ट्रेशन के बाद उनका एक्रीडीटेशन किया जाएगा। यह राज्य सरकारें करेंगी। जिसे सांदिपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान प्रमाणित करेगा। उन्होंने कहा, जो गुरुकुल 10वीं तक की शिक्षा के लिए प्रमाणित होगा उसे वह सर्टिफिकेट मिलेगा। जो 12वीं के लिए होगा या ग्रेजुएशन के स्तर का उसे उसी के हिसाब से सर्टिफिकेट मिलेगा। गुरुकुल को दूसरे स्कूल-कॉलेज के समकक्ष मान्यता देने से अगर स्टूडेंट गुरुकुल की पढ़ाई पूरी कर फिर मुख्य धारा के स्कूलों या कॉलेज में जाना चाहें तो वहां वे फिर उससे आगे की पढ़ाई कर सकते हैं।
3 साल में स्कूल भेजने की परंपरा बड़ी चुनौती
कानितकर ने कहा, गुरुकुल की पढ़ाई 6 साल की उम्र से शुरू होती है। लेकिन 3 साल में बच्चों को स्कूल भेजने की जो परंपरा चल पड़ी है उससे गुरुकुल के सामने एक बड़ी चुनौती है। यह तय करना है कि 6 साल से पहले बच्चे को किस तरह इंगेज किया जाए। इसका समाधान ढूंढने के लिए चर्चा चल रही है। दूसरी चुनौती यह है कि किस तरह गुरुकुलों के लिए आचार्य तैयार किए जाएं। अभी देशभर में चल रहे गुरुकुलों में करीब 10 लाख बच्चे पढ़ते हैं।
समाधान ढूंढने के लिए चर्चा चल रही है
कानितकर ने बताया, आचार्य तैयार करने के लिए हम अलग अलग फील्ड के विद्वानों के लिए आचार्य स्वाध्याय वर्ग लगाएंगे। यह 7-8 दिन का होगा और इसे इसी साल अक्टूबर से शुरू करने की योजना है। इसे फिर साल में दो बार किया जाएगा। ऐसे लोग जो आचार्य बनने के इच्छुक हैं लेकिन किसी एक विषय के विद्वान नहीं हैं उनके लिए 2 साल का कोर्स तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि आईआईटी से एमटेक किए लोगों के साथ ही विदेशों में प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहे कई लोग आचार्य बनने में रुचि जाहिर कर चुके हैं।