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नई दिल्ली : शीला पर फिर भरोसा जतायेगी कांग्रेस, मिल सकती है दिल्ली की जिम्मेदारी

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक एक कर राज्यों में नया नेतृत्व ला रहे हैं लेकिन दिल्ली में पार्टी को फिर से उभारने के लिए उन्हें पुराने नामों पर ही भरोसा होता दिख रहा है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राजधानी में पार्टी का नया अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बनाया जा सकता है। वर्तमान में अजय माकन अध्यक्ष हैं जिन्होंने दिल्ली नगर निगम चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन तब राहुल गांधी ने उन्हें पद पर बने रहने के लिए कहा था।

पार्टी को फिर से उभारने के लिए उन्हें पुराने नामों पर ही भरोसा होता दिख रहा है।

अब खबरें हैं कि कांग्रेस शीला दीक्षित को या तो दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष बना सकती है या उनको किसी कमेटी का नेतृत्व सौंप सकती है। इस संभावना पर भी विचार किया जा रहा है कि जिस तरह हाल ही में मध्य प्रदेश में कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उनके साथ चार कार्याध्यक्ष बनाये गये हैं वैसा ही प्रयोग दिल्ली में शीला को अध्यक्ष बनाकर और उनके साथ कुछ कार्याध्यक्ष बनाकर किया जाये या नहीं।

उनको किसी कमेटी का नेतृत्व सौंप सकती है

वैसे सूत्रों ने बताया कि शीला के अलावा दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री योगानन्द शास्त्री और हारून युसूफ भी अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। हाल ही में पार्टी में वापसी करने वाले पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली को भी महत्वपूर्ण पद मिलने की उम्मीद है। संभावना जताई जा रही है कि अजय माकन को राहुल गांधी की केंद्रीय टीम में जगह मिल सकती है। इस बाबत जल्द ही घोषणा होने के आसार हैं।

पार्टी में वापसी करने वाले पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली को भी महत्वपूर्ण पद मिलने की उम्मीद है

दिल्ली में 15 वर्षों तक लगातार राज करने वाली कांग्रेस 2013 के विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो गयी थी तब आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने कांग्रेस के सहयोग से दिल्ली में 49 दिनों के लिए सरकार बनाई थी। इस समय दिल्ली में कांग्रेस का एक भी विधायक या सांसद नहीं है।

विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो गयी थी तब आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी

पार्टी अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए संगठन को चुस्त दुरूस्त कर रही है। शीला दीक्षित को कांग्रेस ने पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया था। लेकिन बाद में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हो जाने के चलते शीला की उम्मीदवारी हटा ली गयी थी।

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