नईदिल्ली : आप लोगों को मूर्ख नहीं बना सकते
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने खनन उद्देश्य के लिए 141.76 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध होने के बावजूद 558.53 हेक्टेयर जमीन की नीलामी का विज्ञापन देने के लिए हरियाणा सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि आप लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकते और सभी बातों के लिए सिर्फ इसलिए उनपर ठीकरा नहीं फोड़ सकते कि आप सत्ता में हैं। जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने राज्य सरकार की ओर से सिर्फ 141.76 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध होने के बावजूद 558.53 हेक्टेयर जमीन की नीलामी करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने पर सोमवार को नाखुशी जताई।
नीलामी का विज्ञापन देने के लिए हरियाणा सरकार को फटकार लगाई
याचिकाकर्ता फर्म के जमा की गई राशि की वापसी का हकदार होने की बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह फर्म को जमा किए जाने की तारीख से भुगतान की तारीख तक 9 फीसदी सालाना ब्याज के साथ धन की वापसी करे। अदालत ने यह निर्देश विज्ञापन में उल्लिखित क्षेत्र और उपलब्ध कराई गई जमीन के क्षेत्र में भारी अंतर को ध्यान में रखते हुए दिया।
9 फीसदी सालाना ब्याज के साथ धन की वापसी करे
शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में गौर किया कि फर्म ने उस क्षेत्र का कब्जा लेने से मना कर दिया, जिसकी राज्य के करनाल जिले में नीलामी की जानी थी। जब हरियाणा के वकील ने कहा कि यह कंपनी की जिम्मेदारी थी कि वह पता लगाए कि क्या वास्तव में जमीन 558.53 हेक्टेयर है तो इसपर नाराज बेंच ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि आप सत्ता में हैं, सबकुछ के लिए नागरिकों पर दोषारोपण नहीं कर सकते।
राज्य के करनाल जिले में नीलामी की जानी थी
बेंच ने राज्य सरकार के वकील से कहा, सार्वजनिक नोटिस 558.53 हेक्टेयर जमीन के लिए था। आप कैसे सिर्फ 141.76 हेक्टेयर जमीन ही दे सकते हैं और कह सकते हैं कि इसकी जांच करना आवेदक का काम था। बेंच ने कहा, आप इस तरह से नागरिकों को मूर्ख नहीं बना सकते।
सार्वजनिक नोटिस 558.53 हेक्टेयर जमीन के लिए
आप राज्य सरकार हैं और इस बात को सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है कि जिस चीज के लिए विज्ञापन दिया गया, वह दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कंपनी की अपील पर सुनवाई करते हुए की। कंपनी ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।