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PAK से बड़ी डील के बाद भारत आ रहे सऊदी अरब के प्रिंस

सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस पाकिस्तान के बाद दो दिन के भारत दौरे पर मंगलवार को भारत आ रहे हैं. पीएम मोदी के निमंत्रण पर भारत आ रहे प्रिंस के इस दौरे पर दोनों देशों के बीच आतंकवाद और निवेश से जुड़े कई समझौते हो सकते हैं. सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सउद अपने इस दौरे में पीएम मोदी सहित कई शीर्ष मंत्रियों और नेताओं से मुलाकात करेंगे. हालांकि, इस बात की उम्मीद कम ही है कि  सऊदी अरब ‘सीमा पार आतंकवाद’ पर कोई सख्त बयान दे,क्योंकि वह पाकिस्तान का करीबी दोस्त है.

सऊदी अरब सरकार ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह आतंकवाद और चरमपंथ से भारत की लड़ाई में उसके साथ है और कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले को उसने ‘कायराना’ हमला बताया था. सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सऊदी अरब ‘कायराना आतंकी हमलों’ की मजम्मत करता है और वह ‘आतंकवाद एवं चरमपंथ के खिलाफ अपने दोस्ताना गणतंत्र भारत के साथ खड़ा है.’

क्या मिल सकता है भारत को

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को पत्रकारों को बताया था, ‘दोनों देशों के बीच निवेश, प्रतिरक्षा, सुरक्षा, आतंकवाद निरोध, अक्षय ऊर्जा जैसे कई प्रमुख मसलों पर बातचीत हो सकती है.’ प्रिंस का पहला भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कश्मीर के पुलवामा में बड़े आतंकी हमले से भारत में आतंकवाद के प्रति आक्रोश का माहौल है. ऐसे में दोनों देश आतंक से निपटने में सहयोग बढ़ा सकते हैं. इस बात उम्मीद कि भारत और सऊदी अरब के संयुक्त बयान में आतंकवाद के खिलाफ ‘सख्त टिप्पणी’ की जा सकती है. हालांकि इस बात की उम्मीद कम ही है कि इसमें ‘सीमा पार आतंकवाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल होगा. साल 2016 में जब पीएम मोदी सऊदी अरब के शहर रियाद के दौरे पर गए थे तब संयुक्त बयान में ‘सीमा पार आतंकवाद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गय था. हालांकि, इस बार भारत वस्तुस्थिति से पाकिस्तान को पूरी तरह से अवगत कराने की कोशिश करेगा.

व्यापार में असंतुलन

दोनों देशों के बीच परस्पर व्यापार में पलड़ा सऊदी अरब की तरफ झुका हुआ है. भारत के पास एक बड़ा मध्यम वर्ग और बाजार है, जिसमें सऊदी अरब के लिए निवेश की काफी गुंजाइश है, लेकिन सऊदी अरब ने अभी इसे खास तवज्जो नहीं दिया है. इसके अलावा भारत के उन देशों से भी करीबी रिश्ते हैं जिनसे सऊदी अरब के रिश्ते अच्छे नहीं हैं, जैसे ईरान, करत और इजरायल. गौरतलब है कि सऊदी अरब भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. दोनों देशों के बीच सालाना करीब 28 अरब डॉलर का व्यापार होता है.

सऊदी अरब भारत के कच्चे तेल की जरूरत के करीब 20 फीसदी हिस्से की आपूर्ति करता है. सऊदी अरब में करीब 41 लाख भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं, जो वहां की कुल जनसंख्या का करीब 13 फीसदी है. भारत सरकार यह उम्मीद कर रही है कि सऊदी अरब यहां के नेशनल इनवेस्टमेंट ऐंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF)में निवेश करेगा. सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी आरामको भारत के रिफाइनरियों में निवेश की संभावना तलाश कर रही है.

पाकिस्तान के प्रति झुकाव ज्यादा

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने रविवार को करीब 20 अरब डॉलर के निवेश के कुल सात समझौते किए हैं. इस तरह आर्थिक रूप से डूब रहे पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब बड़ा सहारा बनकर आया है. इसके तहत सऊदी अरब का पाकिस्तान में निवेश हर महीने बढ़ेगा. भारत इस बात से वाकिफ है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच नजदीकियां काफी बढ़ रही हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पिछले साल अगस्त में पद संभालने के बाद दो बार सऊदी अरब कर दौरा कर चुके हैं. ईरान के न्यूक्लियर डील से अमेरिका के बाहर होने के बाद सऊदी अरब एक बार फिर से अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु संपन्न देश पाकिस्तान पर निर्भर हो गया है. सऊदी के शाही परिवार के कई सदस्यों को पाकिस्तानी सैनिकों की सेवा भी मिलती रही है. पाकिस्तान ने सऊदी अरब में संकट के समय उसे सैन्य सहयोग दिया है. इसलिए सऊदी अरब का पाकिस्तान के प्रति झुकाव ज्यादा रहा है.

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