
रायपुर : सडक़ों के किनारे, रेल्वे स्टेशन, बस स्टैण्ड और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगते पाए जाने वाले बुजुर्गों से पुलिस उनकी समस्याओं की जानकारी लेगी और उन्हें परिवार के साथ मिलाने में सहयोग करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देश पर राज्य के पुलिस मुख्यालय से इस आशय का परिपत्र सभी पुलिस अधीक्षकों को जारी किया गया है। गृह मंत्री रामसेवक पैकरा ने सभी अधिकारियों को इस परिपत्र का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
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उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर पुलिस मुख्यालय में पिछले वर्ष तीन अक्टूबर से प्रदेश के बुजुर्गों की मदद के लिए टोल फ्री नम्बर 1800-180-1253 और हेल्प लाइन नम्बर 0771-2511253 भी शुरू किया गया है। टोल फ्री नम्बर पर बुजुर्गों से हर महीने औसतन आठ फोन कॉल्स आ रहे हैं, जिन पर सहानुभूतिपूर्वक तत्परता से उचित कार्रवाई की जा रही है। हर जिले में बुजुर्गों की मदद की सहायता के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। पुलिस महानिदेशक ए.एन. उपाध्याय ने अपने परिपत्र में पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि बुजुर्गों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है।
उपाध्याय ने परिपत्र में पुलिस अधिकारियों से कहा है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र में बुजुर्गों से मिलकर उनका कुशलक्षेम पूछें और जरूरत पडऩे पर उन्हें हर संभव मदद करें। छत्तीसगढ़ पुलिस ने समाज सेवी संस्था ’हेल्पेज इंडिया’ के सहयोग से ऐसी पहल की शुरूआत की है। समाज में एकाकी जीवन जी रहे गरीब और उपेक्षित बुजुर्गों को राहत और सुरक्षा देने के लिए यह पहल की जा रही है। परिपत्र में पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि प्रत्येक पुलिस थाने में परिवार परामर्श और सीनियर सिटीजन हेल्पडेस्क की भी स्थापना की जाए। क्षेत्र के प्रभारी पुलिस अधिकारी हर 15 दिन में बुजुर्गों से मिलकर और समय-समय पर सार्वजनिक स्थानों, बाग-बगीचों आदि में बैठकर उनसे बात करें, उनकी समस्याओं की जानकारी लें और निराकरण के लिए हर संभव प्रयास करें।
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प्रत्येक थाने में पेंशन धारक बुजुर्गों का रजिस्टर भी रखा जाए। परिपत्र में कहा गया है कि अगर वरिष्ठ नागरिकों के संबंध में किसी प्रकार के असंज्ञेय अपराध की सूचना मिलती है तो संबंधित पुलिस अधिकारी इस बारे में हेल्पेज इंडिया को सूचित कर उनके समन्वय से आवश्यक कार्रवाई करें। न्यायालयों में बुजुर्गों से संबंधित लंबित प्रकरणों को पुलिस अधिकारी सूचीबद्ध करें और उनके निराकरण के लिए आवश्यक सहयोग भी प्रदान करें।
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अगर बुजुर्गों से बयान लेने की जरूरत पड़ती है तो पुलिस अधिकारी उनके घर जाकर उनका बयान दर्ज करें। वरिष्ठ नागरिकों को अगर सडक़ पर किसी प्रकार की दिक्कत आ रही हो तो मौके पर यातायात व्यवस्था में तैनात पुलिस के सिपाही या अधिकारी उनकी मदद करें। भारतीय दण्ड प्रक्रिया की संहिता धारा-125 के अनुसार बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके बच्चों पर होती है। अगर बुजुर्गों की उपेक्षा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ थाने में कोई शिकायत मिले तो न्यायालय में परिवाद दायर करने के लिए पुलिस अधिकारी बुजुर्गों की मदद करें।
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