रायपुर : नोटबंदी देश का सबसे बड़ा महाघोटाला : सुरजेवाला

रायपुर : आजाद भारत में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला यदि कोई है तो वह है नोटबंदी का घोटाला। इसकी आड़ में भाजपा नेताओं ने करोड़ों रूपए को बैंकों में जमा कराकर अपनी काली कमाई को सफेद कर लिया। नोटबंदी के ठीक पहले भाजपा और आरएसएस ने ओडिशा और बिहार में धड़ाधड़ संपत्तियां खरीदी, आखिर इतना पैसा अचानक कहां से आया? यह बात न तो भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह और न ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की जनता को बताते हैं?
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उक्त आरोप प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में आयोजित एक प्रेसवार्ता में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने लगाई। श्री सुरजेवाला ने कहा कि नोटबंदी से ठीक पहले भाजपा व आरएसएस ने सैकड़ों करोड़ रूपए की संपत्ति पूरे देश में खरीदी। कांग्रेस पार्टी ने बिहार में कम कीमतों पर खरीदी 8 संपत्तियों की सूची व उड़ीसा में खरीदी 18 संपत्तियों की सूची तथा कागजात सार्वजनिक किए थे। क्या भाजपा व आरएसएस को नोटबंदी के निर्णय की जानकारी पहले से थी? क्या कारण है कि भाजपा व आरएसएस ने इतने सैकड़ों व हजारों करोड़ की संपत्ति खरीदी व इसे सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया? क्या इसकी जाँच नहीं होनी चाहिए?
भाजपा के लोगों को पहले से थी नोटबंदी की जानकारी :
श्री सुरजेवाला ने बताया कि नोटबंदी से ठीक पहले सितंबर, 2016 में बैंकों में यकायक 5,88,600 करोड़ रुपया अतिरिक्त जमा हुआ। इसमें से 3 लाख करोड़ फिक्स डिपॉजि़ट में मात्र 15 दिन में जमा हुआ (1 सितंबर से 15 सितंबर, 2016)। क्या इससे साबित नहीं होता कि नोटबंदी की एडवांस जानकारी दे दी गई थी? क्या कारण है कि 5,88,600 करोड़ रुपया जमा कराने वाले किसी व्यक्ति की जाँच नहीं हुई?
श्री सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के बड़े नेताओं को नोटबंदी के निर्णय की पूर्व जानकारी थी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद यानि,10 नवंबर, 2016 को इंदिरापुरम गाजिय़ाबाद, उत्तरप्रदेश में एक मारुति स्विफ्ट कार, रजिस्ट्रेशन नंबर, एचआर-26एआर-9662 से तीन करोड़ रुपया बोरियों में पकड़ा गया। कार में सिद्धार्थ शुक्ला व अनूप अग्रवाल थे, जिन्होंने बताया कि वो यह कैश पैसा भाजपा के लखनऊ कार्यालय में ले जा रहे थे।
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गाजिय़ाबाद भाजपा अध्यक्ष, अशोक मोंगा, पुलिस स्टेशन आए व लिखकर दिया कि यह पैसा भाजपा के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय से भाजपा के लखनऊ कार्यालय में जा रहा था। मोदी जी देश को कहते हैं कि चाय भी पेटीएम से पियो, तो फिर भाजपाई करोड़ों रुपया गाड़ी की डिक्की में भरकर क्यों ले जा रहे थे। इस राशि को सीधे भाजपा के लखनऊ कार्यालय के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर क्यों नहीं किया गया? मोदी जी व अमित शाह के चहेते, कर्नाटक के पूर्व मंत्री व भाजपा नेता, जी. जनार्दन रेड्डी (बेल्लारी ब्रदर्स) के सहयोगी, रमेश गौड़ा ने नोटबंदी के बाद खुदकुशी कर ली तथा सुसाईड नोट में लिखा कि 100 करोड़ रु. का कालाधन भाजपा नेताओं द्वारा बदला जा रहा था, इस गंभीर विषय की जांच क्यों नहीं हुई?
उन्होंने आगे बताया कि नोटबंदी के बाद मात्र 5 दिनों में यानि, 10 नवंबर से 14 नवंबर, 2016 के बीच अहमदाबाद जिला को -ऑपरेटिव बैंक में 745.58 करोड़ रु. के पुराने नोट जमा हो गए। इस बैंक के डायरेक्टर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हैं, जो इससे पहले बैंक के चेयरमैन भी रहे हैं। 7 मई, 2018 के आरटीआई जवाब (1-2) में बताया गया कि देश में किसी भी जिला को-ऑपरेटिव बैंक में जमा हई पुराने नोटों की यह सबसे बड़ी राशि थी। ऐसा क्यों? क्या इसकी जाँच हुई? क्या श्री अमित शाह की जाँच हुई? यही नहीं, अकेले, गुजरात के 11 जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में, जिनके संचालक भाजपाई नेता व मंत्री हैं, नोटबंदी 5 दिनों में अप्रत्याशित तौर से 3881.51 करोड़ रु. के पुराने नोट जमा हो गए (3)। पूरे देश में भी भाजपा शासित प्रदेशों में जिला कोऑपरेटिव बैंकों में 14,293.71 करोड़ रु. के पुराने नोट जमा हुए, जो देश में को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा पुराने नोटों का 65 प्रतिशत है। क्या इसकी कभी जाँच हुई?
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श्री सुरजेवाला ने कहा कि इसी तरह छत्तीसगढ़ में नॉन घोटाले में मिली डायरी में भी बड़े नेता सामने आए, इसकी जांच क्यों नहीं कराई गई? भाजपा नेताओं को आखिर किस बात का डर है जो वे जांच के नाम पर पीछे हट जाते हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के झीरमकांड में कांग्रेस के नेता शहीद हो गए, बार-बार कहने के बाद भी तथा सदन में बयान देने के बाद भी भाजपा सरकार इस कांड के निष्पक्ष जांच से पीछे क्यों हटते रहे हैं? इस बात का जवाब राज्य के मुख्यिा को देनी चाहिए, वहीं देश के प्रधानमंत्री को देशवासियों को यह बताना चाहिए कि आखिर नोटबंदी से किसे फायदा हुआ?
श्री सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दावा किया था कि नोटबंदी से नक्सलवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, जबकि हुआ इसका ठीक उल्टा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश में फर्जी नोट चलने का दावा और इसे खत्म करने की बात कही थी। अब पीएम मोदी देश को बताएं कि फर्जी नोट कहां गए? क्या यह भी भाजपाई ‘जुमला’ निकला? साल 2017-18 आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक 15.44 लाख करोड़ के पुराने नोटों में से मात्र 58.30 करोड़ ही नकली नोट पाए गए, यानि 0.0034 प्रतिशत। अब प्रधानमंत्री श्री मोदी देश को बताएं कि नकली नोट कहां गए?