रायपुर : विश्व मलेरिया दिवस के अवसर पर आज छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में कई आयोजन किए गए। राज्य सरकार छत्तीसगढ़ को स्वस्थ राज्य बनाने और मलेरिया को हराने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर काम कर रही है। प्रदेश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन मलेरिया मुक्ति के लिए इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस का थीम (रेडी टू बीट मलेरिया) रखा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मलेरिया के संक्रमण काल को ध्यान में रखते हुए राज्य के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को मलेरिया के इलाज और बचाव के लिए मुस्तैदी के साथ तैयार रहने के भी निर्देश दिए गए है।
प्रदेश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है
विश्व मलेरिया दिवस पर मलेरिया उन्मूलन के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति के सदस्यों को संदेश दिया गया। विकासखंड स्तर पर स्कूलों में चर्चा, क्विज, रैली, चित्रांकन प्रतियोगिता सहित अंतर्विभागीय समन्वय बैठक आयोजित की गई। व्हॉटसअप, फेसबुक, टेलीग्राम, अन्य, सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत साफ-सफाई, गतिविधियां किए जाने का संदेश भी दिया गया।
व्हॉटसअप, फेसबुक, टेलीग्राम, अन्य, सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि छत्तीसगढ़ में एक जनवरी 2015 से 31 दिसंबर, 2015 तक 38 लाख 86 हजार 92 रक्त पट्टी संग्रहण एवं परीक्षण किया गया। जिसमें सकारात्मक मलेरिया प्रकरण एक लाख 44 हजार 886 मिले, इसमें से एक लाख 23 हजार 839 पी.व्ही.(प्लाजमोडियम वाइवेक्स) की प्रकरण दर्ज किए गए। इसी प्रकार वर्ष 2016 में 48 लाख 30 हजार 145 रक्त पट्टी संग्रहण एवं परीक्षण किया गया। जिसमें सकारात्मक प्रकरण एक लाख 48 हजार 220 मिले इसमें से एक लाख 21 हजार 401 पी.व्ही.(प्लाजमोडियम वाइवेक्स) की और वर्ष 2017 में 51 लाख 83 हजार 717 रक्त पट्टी संग्रहण एवं परीक्षण किया गया।
48 लाख 30 हजार 145 रक्त पट्टी संग्रहण एवं परीक्षण किया गया
जिसमें सकारात्मक मलेरिया प्रकरण एक लाख 40 हजार 727 मिले इसमें से एक लाख 12 हजार 589 पी.व्ही.(प्लाजमोडियम वाइवेक्स) प्रकरण दर्ज किया गया। संचालक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण एवं महामारी नियंत्रण ने बताया कि मलेरिया मादा एनाफिलिज संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाला रोग है, मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को बुखार, ठण्ड लगना, सिरदर्द, बदन दर्द, उल्टियां आना जैसे लक्षण प्रकट होते है। यदि किसी भी व्यक्ति में उपरोक्त लक्षण दिखाई दे तो उसे तत्काल अपने खून की जांच करवानी चाहिए क्योंकि कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है।
मलेरिया मादा एनाफिलिज संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाला रोग है
मलेरिया की जांच के लिए मितानिनों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को आर.डी.किट एवं मलेरिया रोधी औषधियां पर्याप्त मात्रा में प्रदान की गयी है। इस किट के प्रयोग से तत्काल मलेरिया के संभावित मरीज की खून की जांच कर 15 मिनट के भीतर परिणाम प्राप्त कर उपचार शुरू किया जा सकता हैं। सरकारी अस्पतालों में मलेरिया का नि:शुल्क उपचार किया जाता है। गंभीर मलेरिया रोगियो के रेफरल के लिए संजीवनी एक्सप्रेस 108 और गर्भवती महिला एवं बच्चों के रेफरल के लिए 102 महतारी एक्सप्रेस का उपयोग किया जा सकता है।
सरकारी अस्पतालों में मलेरिया का नि:शुल्क उपचार किया जाता है
राज्य के 23 मलेरिया प्रभावित अति संवेदनशील जिलों के लाखों घरो में कीटनाशक दवा का छिडक़ाव किया गया है। दवा के प्रभाव से मच्छरो के संक्रमण फैलाने की क्षमता समाप्त हो जाती है। मलेरिया की रोकथाम के लिए सामूहिक सहभागिता एवं व्यक्तिगत सुरक्षा भी आवश्यक है। मलेरिया के मच्छर रूके हुए एवं अस्वच्छ जल स्रोतो में पनपते है मच्छरो के पैदावार को रोकने के लिए अपने घरो एवं आसपास जल जमा न होने दें,
दवा के प्रभाव से मच्छरो के संक्रमण फैलाने की क्षमता समाप्त हो जाती है
जमा हुए पानी में जला हुआ मोबिल आइल अथवा मिट्टी का तेल डाले, कुओं, तालाबो तथा बड़े जलाशयों में मच्छर के लार्वा खाने वाली गम्बूजिया मछली डाले, कीटनाशक दवा का छिडक़ाव घरो के भीतर अवश्य करवाये, मच्छर के काटने से बचने के लिए सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोये एवं फुल आस्तीन के कपड़े पहनने से संक्रमण से बचा जा सकता है । मलेरिया का पूर्ण उपचार अर्थात् चिकित्सकीय सलाह से प्राइमाक्वीन द्वारा लिया जाना महत्वपूर्ण है।