उम्मीद के घोड़े पर अब भी सवार हैं सिंहदेव, पर भूपेश बघेल को हरा पाना बेहद कठिन !
प्रदेश में कांग्रेस को जिताया, पर भूपेश बघेल से हार जाएंगे टीएस ?
रायपुर, इनदिनों छत्तीसगढ़ कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है । जो जोड़ी छत्तीसगढ़ की सत्ता हासिल करने के लिए जय और वीरू की कही जाती थी । सत्ता हाथ में आते ही अब उनके रिश्ते अब भारत-चीन की तरह हो गए हैं, जहां पर्दे के पीछे बात तो चल रही है, लेकिन रिश्तों की सरहदों पर तनाव भी बरकरार है । जाहिर है एक तरफ जहां सीएम की कुर्सी पर बैठे भूपेश बघेल इसे छोड़ने को तैयार नहीं, तो वहीं सीएम इन वेटिंग टीएस सिंहदेव इसे पाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अब नहीं तो फिर कभी नहीं ।
टीएस सिंहदेव फिर कभी नहीं बन पाएंगे सीएम ?
दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की छटपटाहट इसलिए भी है कि उन्हें अपने नाम के आगे सीएम लगवाने का ये आखिरी मौका है, इसके बाद उन्हें दूसरा मौका नहीं मिलेगा । और ये कैसे होगा हम आपको बताते हैं । दरअसल टीएस सिंहदेव की उम्र 68 साल हो चुकी है । और अगर भूपेश बघेल ही सीएम बने रहे, तो अगला चुनाव जो 2023 में होना है, वो भूपेश बघेल के नेतृत्व में लड़ा जाएगा । इस चुनाव में कांग्रेस जीती तो क्रेडिट भी भूपेश बघेल को ही मिलेगा औऱ अगर हार भी गए तो अगला मौका 2028 में ही मिलेगा । तबतक टीएस सिंहदेव 75 पार हो चुके होंगे, तब शयद वे खुद भी राजनीति में इतनी सक्रियता से कार्य न कर सकें । लिहाजा ये टीएस सिंहदेव के पास सीएम बनने का एक मात्र चांस है ।
ढाई-ढाई साल वाला फार्मूला कितना सच्चा
कांग्रेस ने जब छत्तीसगढ़ में जीत का परचम लहराया था, और भूपेश बघेल ने सीएम की कुर्सी संभाली थी, तभी से प्रदेश में ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले की चर्चा रही है । टीएस सिंहदेव भी कई बार इशारों-इशारों इस बात को मीडिया के सामने कह चुके हैं, लेकिन सीएम की ओर से हमेशा इसे खारिज किया जाता रहा है । अब सच्चाई क्या है यह तो वहीं लोग बता सकते हैं, जो इस बैठक में शामिल थे, हालांकि आम लोग इस बात को सच ही मान रहे हैं, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो टीएस सिंहदेव जैसे गंभीर नेता इस तरह की बात न उठाते औऱ दूसरे मंत्रियों की तरह वे भी सीएम भूपेश बघेल का नेतृत्व खुले मन से स्वीकार करते, जैसा फिलहाल नजर नहीं आता ।
प्रदेश में कांग्रेस को जिताया, पर भूपेश बघेल से हार जाएंगे टीएस ?
एक बात तो माननी होगी कि सत्ता से बाहर रहते हुए, तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने जीतनी मेहनत की थी टीएस सिंहदेव ने भी उस दौरान अपनी अहम भूमिका निभाई थी । कहा तो यह भी जाता है कि उस वक्त वित्तिय संकट से जूझ रही कांग्रेस पार्टी को टीएस सिंहदेव ने कई मौकों पर आर्थिक मदद भी की । यही नहीं बताया तो यह भी जाता है कि उन्हें पार्टी के विधायक प्रत्याशियों को भी आर्थिक मदद की थी । शायद यही वजह रही कि आलाकमान ने उन्हें ढाई साल सीएम बनाने का वादा किया था । लेकिन मौजूदा हालातों में सीएम भूपेश बघेल उनपर हावी दिखाई दे रहे हैं । उन्होने संगठन और सरकार दोनों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं । और कोई अजूबा ही होगा जब टीएस सिंहदेव सीएम कुर्सी तक पहुंच पाएंगे ।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में क्या होगा ?
फिलहाल टीएस सिंहदेव ने हौसला नहीं खोया है, उन्हें अब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से उम्मीद है, वे अपने पिछले कामों की दुहाई देकर आला कमान पर दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं । लेकिन इसका असर कतना होगा ये आने वाले वक्त में पता चलेगा । लेकिन एक बात तो जाहिर है, सीएम कोई भी बने छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गुटबाजी जरूर शुरू हो गई है, ऐसे में ये गुटबाजी कितनी कड़वाहट पैदा करती है इसके बारे में जानने के लिए फिलहाल छत्तीसगढ़ की जनता को इंतजार करना पड़ेगा ।