
रायपुर। बस्तर की धरती एक बार फिर इतिहास का साक्षी बनी है। एक ऐसा ऑपरेशन, जिसने सिर्फ जंगलों में छिपे नक्सलियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद नहीं किया, बल्कि उन लोगों में भी उम्मीद जगाई है जो दशकों से नक्सली आतंक के साए में जी रहे थे। आज हम आपको लेकर चल रहे हैं उस ऐतिहासिक कर्रेगुट्टा हिल्स ऑपरेशन की कहानी, जिसने मिशन 2026 को नई ताकत दी है।”
छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा हिल्स में चलाए गए सबसे बड़े नक्सल विरोधी ऑपरेशन ने एक बड़ा मोड़ ले लिया है। इस ऑपरेशन के दौरान 31 संदिग्ध नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं, जिनमें से अब तक 20 की पहचान हो चुकी है। बीजापुर पुलिस ने 12 मई 2025 को इसकी पुष्टि की और बताया कि इनमें से 11 शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं।
यह ऑपरेशन 21 अप्रैल को शुरू हुआ था, जिसमें 28,000 से अधिक जवानों को मैदान में उतारा गया था। इसमें DRG, COBRA, CRPF और STF की संयुक्त टीमें शामिल थीं। इस अभियान को 800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चलाया गया, जिसे नक्सलियों का मजबूत गढ़ माना जाता था।
इस पूरी घटनाक्रम की अगर बात करें, तो
24 अप्रैल: तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया गया था.
3 मई: एक अन्य महिला नक्सली मारी गईं.
7 मई: एक ही दिन में 22 नक्सली मारे जाने की खबर आई.
और अब तक 400 से अधिक IED, 40 हथियार और दो टन विस्फोटक बरामद किए जा चुके हैं.
बस्तर IG सुंदरराज पी के अनुसार, 2025 में अब तक बस्तर संभाग में 151 नक्सली मारे जा चुके हैं। इस ऑपरेशन से नक्सलियों की PLGA बटालियन नंबर-1 को तगड़ा झटका लगा है।
इस पूरे अभियान को ड्रोन, हेलीकॉप्टर और सेटेलाइट इंटेलिजेंस से मॉनिटर किया गया, जिससे हिड़मा जैसे वांछित नेताओं को निशाना बनाया जा सका, हालांकि हिडमा अब भी फरार है।
तीन बार खुद CRPF डीजी जीपी सिंह ने क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान IED हमलों में छह जवान घायल हुए, वहीं हीट स्ट्रोक से 40 जवानों की हालत बिगड़ी, लेकिन सभी की जान बचाई जा सकी।
अगर इस ऑपरेशन के राजनीतिक पक्ष की बात करें, तो 9 मई को भारत-पाकिस्तान तनाव के कारण यह ऑपरेशन आंशिक रूप से रोका गया, जिससे नक्सलियों के फिर से संगठित होने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन तथ्य यह है कि कर्रेगुट्टा हिल्स पर तिरंगा लहराकर एक ऐतिहासिक सफलता दर्ज की गई है।
तेलंगाना में 265 नक्सलियों के आत्मसमर्पण ने पुनर्वास नीति की प्रभावशीलता को भी सिद्ध किया है, लेकिन भर्ती और विदेशी फंडिंग की आशंका अब भी बनी हुई है।
गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। कर्रेगुट्टा की जीत इस मिशन की एक बड़ी उपलब्धि है। लेकिन इस ऑपरेशन का रुकना और बैकअप फोर्स की वापसी बताती है कि आंतरिक सुरक्षा को लेकर अब भी सतर्कता जरूरी है।