- छत्तीसगढ़ में राजिम के ऐतिहासिक महानदी तट पर माघ माह में आयोजित होने वाला राजिम कुंभ का नाम बदल दिया गया है. भूपेश सरकार ने राजिम कुंभ का नाम बदल कर फिर से पुन्नी माघ मेला कर दिया है.
- विधेयक पर चर्चा के दौरान बीजेपी नेता अजय चंद्राकर ने प्रवर समिति को विधेयक भेजे जाने की मांग की है. बता दें कि किसी विषय की छानबीन करने और विचार विमर्श के बाद निश्चित मत प्रकट करने के लिए बनाई जानेवाली वह समिति जिसमें उस विषय के चुने हुए विशेषज्ञ रखे जाते हैं, उसे प्रवर समिति कहते हैं. इसका अंग्रेजी अर्थ सिलेक्ट कमेटी है.
- बहरहाल, बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने इस विधेयक पर कहा कि नियमों के तहत संशोधन नहीं लाया जा रहा. वित्तीय ज्ञापन भी नहीं दिया गया है. उन्होंने सवाल किया है कि आखिर विधेयक इतनी जल्दी में प्रस्तुत करने की वजह क्या है ? उन्होंने राजिम कुंभ के नाम बदले जाने पर कहा कि नाम बदलकर इसके महत्व को कम किया गया है. वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी इसका विरोध किया है.
- लिहाजा, राजिम कुंभ कल्प का नाम राजिम माघी पुन्नी मेला करने के संशोधन विधेयक पर विपक्ष की आपत्ति के बाद मत विभाजन के बाद पारित हो गया है. हालांकि इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तकरार भी हुआ, लेकिन मत विभाजन में विधेयक के पक्ष में 62 और विपक्ष में 8 मत पड़ने के कारण नाम बदले जाने के संशोधन विधेयक को पास कर दिया गया.
- बता दें कि रमन सरकार ने राजिम के महानदी तट पर लगने वाले इस मेले का नाम बदलकर राजिम कुंभ कर दिया था. वहीं प्रदेश में कांग्रेस की नई सरकार बनने के बाद ही पर्यटन और संस्कृति मंत्री ताम्रध्वज साहू ने एक कार्यक्रम में नाम बदलने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद प्रक्रिया के तहत इसे विधानसभा में लाया गया. इसके बाद मत विभाजन की प्रक्रिया से इस विधेयक को पास कर दिया गया. विधानसभा में विधेयक पास होने के बाद अब राजिम माघी अपने नए नाम यानि पुन्नी मेला के नाम से जाना जाएगा.
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