
रायपुर। तेलंगाना के वारंगल में जन्मी रेणुका एक पढ़ी-लिखी लड़की थी। उसने LLB की पढ़ाई की थी, लेकिन किस्मत ने उसे एक अलग रास्ते पर धकेल दिया। साल 1996 में वो नक्सली विचारधारा से प्रभावित हुई और नक्सली संगठन से जुड़ गई। नक्सल विचारधारा से जुड़कर वो खुद नक्सली संगठन का ऐसा चेहरा बन गई, जिसका काम नक्सलियों की विचारधारा इतना मजबूत बनाना था, कि आदिवासी सरकार को अपना दुश्मन और उन्हें अपना रक्षक मानें । वो एक आम कैडर नहीं बनी, बल्कि नक्सल संगठन में अपनी बौद्धिक क्षमता और लेखन कौशल के कारण ऊंचे पद तक पहुंच गई ।
नक्सली संगठन में अहम भूमिका
रेणुका का काम सिर्फ बंदूक उठाना नहीं था। वो नक्सल संगठन की प्रेस टीम की राष्ट्रीय स्तर पर इंचार्ज थी। उसका काम नक्सलियों की विचारधारा को फैलाना, सरकारी नीतियों के खिलाफ बयान जारी करना और माओवादी संगठनों की गतिविधियों को प्रचारित करना था। उसने कई पत्रिकाओं और प्रकाशनों जैसे प्रभात, महिला मार्गम, आवामी जंग, पीपुल्स मार्च, भूमकाल संदेश आदि के लिए काम किया।
परिवार और निजी जीवन
रेणुका ने साल 2005 में CCM यानि सेंट्रल कमेटी मेंबर, शंकामुरी अप्पाराव उर्फ रवि से शादी की थी, जो नक्सल संगठन का एक बड़ा नाम था। रवि पर सरकार ने 1 करोड़ रुपए का इनाम रखा था। लेकिन 2010 में आंध्र प्रदेश के नलमल्ला जंगलों में पुलिस के साथ मुठभेड़ में रवि मारा गया।
रेणुका की मोस्ट वांटेड लिस्ट में एंट्री
पति की मौत के बाद रेणुका और ज्यादा आक्रामक हो गई। वो छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मोस्ट वांटेड बन गई। उस पर सरकार ने 45 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था।
ऐसे हुआ एनकाउंटर
रेणुका के एनकाउंटर दो घंटे चली मुठभेड़ के बाद हुआ, दरअसल छत्तीसगढ़ पुलिस को खबर मिली कि नेलगोड़ा, इकेली, बेलनार के जंगलों में 10-15 नक्सलियों का ग्रुप मौजूद है। वे अबूझमाड़ की ओर जाने की फिराक में थे । 31 मार्च की सुबह 9 बजे पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ शुरू हुई। करीब दो घंटे तक गोलीबारी चली। जिसमें DRG और बस्तर फाइटर्स की टीम ने रेणुका को मार गिराया। रेणुका अपने साथ इंसास राइफल रखती थी। पुलिस को उसके पास से लैपटॉप और दूसरे दस्तावेज मिले हैं, जो नक्सल संगठन से जुड़ी अहम जानकारियां उजागर कर सकते हैं।
नक्सली विचारधारा होगी कमजोर
रेणुका का सफर पढ़ाई से शुरू हुआ था, लेकिन वह विचारधारा के नाम पर हिंसा के रास्ते पर चली गई। नक्सलियों के प्रचार तंत्र की सबसे बड़ी महिला नेता अब खत्म हो चुकी है, और अब उम्मीद है कि उसके फैलाए विचार भी खत्म हो जाएंगे । हालांकि इसमें थोड़ा और वक्त लग सकता है, लेकिन जवान अगर इसी रफ्तार से आगे बड़े, तो वो दिन दूर नहीं जब नक्सलवाद एक इतिहास बन कर रह जाएगा ।