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सुपोषण योजना से बढ़ा वजन और संवरा खिलेश का बचपन

रायपुर, इमामबाड़ा की रहने वाली किरण बघेल ने बताया कि उसका पति किशन बघेल मजदूरी करते हैं। इसी से घर का खर्च चलता है। किरण ने बताया कि निमोनिया का शिकार होने के बाद सबसे छोटा बेटा खिलेश की शारीरिक कमजोरी हमारे परिवार में चिंता की प्रमुख वजह बन गई थी।

फरवरी 2019 में वजन त्यौहार के दिन जब मैं अपने बच्चे को आंगनबाड़ी केन्द्र लेकर गई थी तब उसका वजन 4 किलो 410 ग्राम था। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने मुझे बताया कि आपका बच्चा लाल श्रेणी में है इसलिए आपको उसकी सेहत को लेकर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की बात मानकर मैं लगातार मितानिन और उनके सम्पर्क में थी।

मुझे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा ही मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के बारे में बताया गया। खिलेश की सेहत कैसे सुधर सकती है? और कैसे उसका वजन बढ़ सकता है? यह सब भी बताया गया। मैं उनकी बातों को मानती रही और एक दिन आंगनबाड़ी केन्द्र इमामबाड़ा में जिले के कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में जब खिलेश का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तो उसका वजन तो बढ़ा ही था साथ ही सेहत भी काफी सुधर गई थी।

प्रतिदिन रेडी टू ईट खाने और बच्चे को अण्डा, केला खिलाने और दूध पिलाने से उसका का वजन अब लगभग 8 किलो है। वह रेड यानी गंभीर कुपोषित की श्रेणी से बाहर आकर ग्रीन यानी स्वस्थ और सुपोषित श्रेणी में आ गया है। मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से अब खिलेश का बचपन भी संवर गया है और वजन भी बढ़ गया है। इससे हमारा परिवार बहुत खुश है। मेरी दोनों बिटियाँ भी खिलेश के साथ खेल पाती हैं।

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