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लोगों ने तुलसी व शालिग्राम का विवाह कर मनाया पर्व, दो दिन की है देवउठनी एकादशी

पर्व को लेकर बाजारों में रही भीड़, शाम को पूजा के बाद लोगों ने
छोटी दीपावली के रूप में मनाए जाने वाले देवउठनी एकादशी का पर्व बुधवार को क्षेत्र में धूमधाम व भक्तिभाव के साथ मनाया गया। सुबह से ही लोग त्योहार की तैयारियों में जुट गए थे और शाम होते ही घरों में तुलसी-शालिग्राम का विवाह संपन्न कर देवउठनी पर्व मनाया गया।

दो दिन होने के कारण कई लोग आज यानी गुरुवार को एकादशी का पर्व मनाएंगे । बुधवार को क्षेत्र में तुलसी विवाह का पर्व हर्षोल्लास व भक्तिभाव के साथ मनाया गया। सुबह से घरों में तुलसी विवाह की तैयारियों शुरू हो गई थी। घरों में पूजा स्थल की गोबर से लिपाई व साफ-सफाई कर लोगों ने गन्ने से मंडप तैयार किया था। महिलाओं ने दिनभर उपवास रखा था, जिसके बाद उन्होंने पूजन सामग्री, सुहाग सामग्री व मिष्ठान अर्पण किया गया और विधि विधानपूर्वक तुलसी विवाह किया गया।

तुलसी विवाह के बाद लोगों ने आतिशबाजी भी की। शहर पटाखों की ध्वनि से गुंजायमान हो उठा। इससे पूर्व सुबह से ही बाजार में रौनक बनी हुई थी। ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण पूजा समग्री, फूल, बताशा और अन्य सामग्री बेचने के लिए पहुंचे हुए थे। बड़ी संख्या में लोगों ने पूजन सामग्री और फूल की खरीदारी भी की। साथ ही देव उठनी पर्व पर गन्ने का विशेष महत्व है। तुलसी विवाह के लिए गन्ने से ही मंडप तैयार किया जाता है। जिसे देखते हुए दो दिन पहले ही शहर में गन्ने की बिक्री शुरू हो गई थी। शहर के मेन रोड, पुराना कचहरी चौक, नेहरु चौक के पास गन्ने की अच्छी बिक्री हुई। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गन्ने के दाम में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में कृषक व व्यापारी गन्ने के बिक्री के लिए शहर पहुंचे थे।

शुभ कार्य होंगे शुरू, तुलसी व शालिग्राह का हुआ विवाह


तुलसी ब्याह के साथ ही शुभ कार्यों पर लगा चार माह का विराम समाप्त हो गया। देव उठनी एकादशी में देवताओं के जागने के साथ ही शादी, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार आदि मांगलिक कार्य हिंदू धर्म में शुरू हो जाएंगे। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार माह के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। भगवान के शयन के दौरान चार माह तक मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। चार माह तक शयन करने के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के एकादशी को भगवान विष्णु जागते हैं और इसके बाद मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाते हैं। इस दिन तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से कराया जाता है।


आज भी विवाह कर मनाएंगे छोटी दीवाली


बुधवार को एकादशी होने के कारण लोगों ने देवउठनी एकादशी का पर्व मनाते हुए घरों में गन्ने का मंडल बनाकर शालिग्राम व तुलसी का विवाह किया । गुरुवार को भी यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा । नगर पुरोहित पंकज तिवारी ने बताया कि 25 को एकादशी होने के कारण लोग मना रहे हैं । वहीं गुरुवार को एकादशी युक्त द्वादशी है । इसी दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ हुआ था । यह तिथि कई वर्षों के बाद आया है ।

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