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छत्तीसगढ़ में सड़क हादसा में रोजाना कितनी मौतें होती है, जाने पूरी खबर!

रायपुर। सड़कें इंसानों की सुविधाओं के लिए बनी थीं, लेकिन अब यही सड़कें उनकी मौत का सबब बन रही हैं । अगर हम पूरे देश की बात न भी करें और सिर्फ छत्तीसगढ़ की बात करें तो छत्तीसगढ़ की सड़कों पर रोज़ औसतन 19 से ज्यादा लोग जान गंवा रहे हैं । कभी ओवरस्पीड का कहर, कभी लापरवाही, कभी सड़क पर घूमते मवेशी, और कभी प्रशासन की सुस्ती… हर हादसे के पीछे एक नहीं, कई कहानियां होती हैं, लेकिन नतीजा हमेशा एक ही होता है – किसी परिवार का चिराग बुझ जाता है।” या फिर कोई हमेशा के लिए अपाहिज हो गया ।

युवती के सिर कटने का वीडियो वायरल

अभी हाल ही में रायपुर की सड़कों पर जो हुआ, उसे सुनकर रूह कांप जाती है। एक लड़की स्कूटी से जा रही थी, जिसकी उम्र महज 18 साल थी, उसके पीछे दो और नाबालिग लड़कियां बैठी थीं । वे सड़क पर अचानक गिरीं और चंद सेकेंड में ही 18 साल की लड़की का सिर धड़ से अलग होकर गिर गया, ये तस्वीरें इतनी भयावह हैं कि इन्हें दिखाया भी नहीं जा सकता । इसे सिर्फ धड़कते दिल के साथ महसूस किया जा सकता है । और ये कोई एक दुर्घटना नहीं है, बल्कि आपके-हमारे शहर में हर दिन घट रही एक खौफनाक सच्चाई है। कई दुर्टनाओं में तो लोग खड़े होकर तमाशा देखते रहते हैं, मोबाइल में वीडियो बनाते रहते हैं, लेकिन ये सोचने वाला कोई नहीं था कि आखिर हमारी सड़कों पर इस तरह की ‘ आत्महत्या और हत्याएं’ कब बंद होंगी.

क्या कहते हैं अंकड़ें ?

अब ज़रा आंकड़े सुनिए और सोचिए कि क्या हम और हमारी सड़कें सच में सफर करने के लायक हैं..या हम और ये सड़कें मौत के कुएं में अपनी और दूसरों की जान की बाजी हर दिन लगा रहे हैं । छत्तीसगढ़ में बीते 6 सालों में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या 33,700 है। और ये आंकड़ा छत्तीसगढ़ विधानसभा में वरिष्ठ भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के प्रश्न का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने लिखित उत्तर में बताया है । बताया गया कि 2019 से 2024 के बीच कुल 79,523 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 33,734 लोगों की मौत हुई और 70,255 लोग घायल हुए। सरकार ने कहा कि 2019 से 2024 तक राज्य में 848 “ब्लैक स्पॉट” यान दुर्घटना-संभावित क्षेत्र की पहचान की गई है. इनमें से 790 मामलों में संबंधित निर्माण एजेंसियों द्वारा सुधारात्मक उपाय किए गए हैं.

छत्तीसगढ़ में हर दिन 19 जानें जाती हैं

हर दिन छत्तीसगढ़ में सड़क दुर्घटना में 19 जानें जा रही हैं. छत्तीसगढ़ में 108 ब्लैक स्पॉट्स हैं, जहाँ ज़्यादा हादसे होते हैं. एक रिपोर्ट में सड़क हादसे से होने वाली मौतों के मामले में तमिलनाडु और तेलंगाना के बाद छत्तीसगढ़ तीसरे स्थान पर है. रिपोर्ट में बताया गया है कि तमिलनाडु में एक लाख लोगों पर 21.9 लोग की सड़क दुर्घटना में मौत हो रही, तेलंगाना में 19.2 लोग और छत्तीसगढ़ में 17.6 लोग मौत का शिकार हो रहे हैं.
साल दर साल आंकड़ें.
छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों के साल दर साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2020 में 11656 हादसे हुए इसमें 4,606 मौतें हुईं वहीं 10,505 घायल हुए. 2021 में 12,375 हादसे में 5,375 मौत हुईं और 10,683 घायल हुए. 2022 में 7997 हादसों के दौरान 3467 मौतें हुई थीं जबकि 7,251 घायल हुए थे. 2023 में 13,468 हादसे हुए, 6,166 मौतें हुईं, 11,723 घायल हुए. पिछले साल 2024 में 14,853 हादसों में 6,752 लोगों की जान गईं जबकि 12,573 घायल हो गए.

प्रदेश के बड़े शहरों में सड़क हादसें

प्रदेश के बड़े शहरों में होने वाले हादसों को देखें तो राजधानी रायपुर में 595 मौतें हुईं वहीं 2,069 हादसे देखने को मिले, यहां 17 प्रतिशत बढ़त देखने को मिली. कोरबा में 838 हादसों में 380 लोगों की मौत हुई, यहां 11 प्रतिशत हादसे बढ़ें. रायगढ़ में 691 हादसे 379 मौत हुईं, यहां 18 प्रतिशत हादसे बढ़ें, बिलासपुर में 1,390 हादसे हुए 359 मौत हुईं, सरगुजा में 614 हादसे हुए 352 लोगों की मौत हुई यहां 19 प्रतिशत हादसे बढ़ें, दुर्ग में 1,229 हादसे हुए जिसमें 344 मौत हुईं.

सड़क हादसे के कारण क्या हैं?

सड़क हादसों के कई कारण देखने को मिलते हैं, जैसे ज़्यादा रफ़्तार से गाड़ी चलाना, लापरवाही, नियमों का उल्लंघन, संकेतों को न समझ पाना, थकान, शराब पीना. एक रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 7 लाख गाड़िया बढ़ी हैं, लोगो में धैर्य कम हुआ है और हड़बड़ी ही सबसे बड़ी गड़बड़ी है. क्योंकि हड़बड़ी में गाड़ी चलाने से हादसे बढ़ते हैं. इसके अलावा लापरवाही पूर्वक गाड़ी चलाना और लोक परिवहन के साधन कम होना व प्राइवेट वाहन का बढ़ना इन बढ़ते हादसों कह प्रमुख वजहे हैं.
“एक और दिलचस्प बात ये है कि इन हादसों में सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हैं जो पैदल चलते हैं या दोपहिया वाहन चलाते हैं । यानी जो सड़क पर सबसे कमजोर हैं, उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है । मगर गाड़ियों की रफ्तार पर कोई लगाम नहीं है ।

लेकिन सवाल सिर्फ प्रशासन का नहीं है, हम सबका भी है। क्या हम खुद कभी ट्रैफिक नियमों का पालन करते हैं? हेलमेट पहनने में हमें शर्म क्यों आती है? रेड लाइट तोड़ना हमारी ‘बहादुरी’ कब से बन गया? और सबसे बड़ी बात ये है कि कोई हादसा होता है तो हम मदद करें, वीडियो बनाने के लिए कई और मुद्दे भी मिल जाएंगे, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो सकते हैं ।

हमें समझना होगा, कि आतंकवादी घटना, नक्सल समस्या से भी ज्यादा बड़ी समस्या दुर्घटना की हैं, जो कभी भी, किसी भी घर का दीपक बुझा सकती हैं । क्योंकि किसी के सिर धड़ से अलग होने की घटना दूसरों के लिए एक कभी न देखा गया रोमांचक और दिल धड़काने वाला दृश्य हो सकती है, लेकिन उसके परिवार पर जो गुजरती है वो शायद कोई दूसरा नहीं समझ सकता । फिलहाल लेफ्ट एंड राइट में मुझे दीजिये इजाजत, फिर मिलूंगा, किसी और मुद्दे, किसी और विषय को लेकर…तब तक गाड़ी सुरक्षित तरीके से चलाना आपके लिए और दूसरों के लिए भी बेहद जरूरी है.. नमस्कार

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