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कोरोना के मुश्किल दौर में मोदी सरकार की वैक्सीन डिप्लोमेसी से क्या चित होगा चीन?

कोरोना के मुश्किल दौर में भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ खड़ा रह कर उसी दोस्ती को निभाने में जुट गया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसे #वैक्सीनमैत्री का नाम दे रहे हैं. कूटनीतिक भाषा में इसे वैक्सीन डिप्लोमेसी कहते हैं. आपका दोस्त कौन है और दुश्मन कौन है – इसकी पहचान मुश्किल घड़ी में ही होती है.

इस दौरान भारत सरकार ने हाल ही में भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, सेशेल्स में कोरोना वैक्सीन की पहली खेप रवाना की है. जल्द ही अफ़ग़ानिस्तान, श्रीलंका और मॉरिशस को भी भारत की कोरोना वैक्सीन की मदद मिलने वाली है. इन देशों में वैक्सीन को ज़रूरी मंज़ूरी देने का काम चल रहा है.

भारत द्वारा मदद की जा रही देशों की सूची से पाकिस्तान ग़ायब है. पाकिस्तान को चीन ने वैक्सीन देने वादा किया है, जिसकी पहली खेप जनवरी के अंत तक पहुँचने के आसार है. इसकी सूचना ख़ुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने ट्वीट कर दी है. चीन और भारत के वैक्सीन से पड़ोसी देशों की मदद के फ़ैसले को कुछ जगहों पर मुक़ाबले के तौर पर देखा जा रहा है.

कई जानकार इस तरह की मदद को ‘मानवता’ के आधार पर मदद मान रहे हैं. तो कुछ जानकार इसे दक्षिण एशिया में चीन के दबदबे को भारत द्वारा कम करने की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं. इन तमाम दावा और हक़ीक़त के बीच सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि वैक्सीन डिप्लोमेसी आख़िर क्या है?

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