विदेश

वाशिंगटन : भारत-रूस के बीच 6 अरब डॉलर के रक्षा सौदे पर अमेरिकी ग्रहण

नई दिल्ली : रूसी सैन्य साजो सामान के निर्यात पर अमेरिकी प्रतिबंध से भारत के साथ हुए 60 लाख डॉलर के सौदे पर ग्रहण लग सकता है. इतना ही नहीं एशिया में अमेरिका के दूसरे साझेदार देशों के साथ भारत की हथियार खरीद की प्रक्रिया भी पटरी से उतर सकती है. विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी. दरअसल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल अगस्त में एक कानून पर हस्ताक्षर किया था, जिसके अंतर्गत यह प्रावधान किया गया था कि जो कोई देश रूस के साथ रक्षा और खुफिया क्षेत्रों में सौदा करेंगे उन्हें प्रतिबंध झेलने के लिए तैयार रहना होगा.

भारत की हथियार खरीद की प्रक्रिया भी पटरी से उतर सकती है

वास्तव में ट्रंप द्वारा इस कानून को बनाने के पीछे का मकसद अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को दंडित करना था. सीरियाई गृहयुद्ध, यूक्रेन के 2014 अपराध परिशिष्ट और 2016 में संपन्न हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल का अमेरिका पहले से ही विरोध करता आया है. लेकिन, अमेरिका के साझीदार देश जो कि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े हथियार निर्यातक देश रूस से हथियार और अन्य सैन्य सामान खरीदते हैं, को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल का अमेरिका पहले से ही विरोध करता आया है

इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण भारत है… जो कि जमीन से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी के पांच एस-400 मिसाइल प्रणाली रूस से खरीदना चाहता है, जिससे देश की सैन्य क्षमता में जबर्दस्त इजाफा होगा. यह प्रणाली चीन द्वारा विकसित किए जा रहे बैलिस्टिक मिसाइल और स्टेल्थ विमान को नाकाम करने में बेहद सक्षम है.

डोनाल्ड ट्रंप के दौर में भारत-अमेरिका के रिश्ते सबसे ज्यादा मजबूत और बेहतर

ट्रंप प्रशासन भारत के साथ रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को विस्तार देना जारी रखना चाहता है साथ ही पूरे दक्षिण एशिया में नयी दिल्ली के प्रगाढ़ होते संबंधों का समर्थन करता है. दक्षिण तथा मध्य एशियाई मामलों की प्रमुख उप सहायक मंत्री एलिस वेल्स ने बीते 19 अप्रैल को कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच सामरिक भागीदारी कानून व्यवस्था को बनाए रखने तथा मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार जैसी साझा प्रतिबद्धताओं पर आधारित है.

दक्षिण एशिया में नयी दिल्ली के प्रगाढ़ होते संबंधों का समर्थन करता है

वेल्स ने कहा था, ‘‘भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी कानून व्यवस्था, नौवहन की स्वतंत्रता, लोकतांत्रिक मूल्यों तथा मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को बनाए रखने की साझा प्रतिबद्धताओं पर दृढ़ता से कायम है. रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को विस्तारित करते रहने की हमारी योजना है साथ ही हम क्षेत्र भर में भारत के बढ़ते संबंधों का समर्थन करते है.’’

मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को बनाए रखने की साझा

सहायक विदेश मंत्री की गैरमौजूदगी में वेल्स साल भर से विदेश मंत्रालय के दक्षिण तथा मध्य एशिया ब्यूरो को संभाल रही हैं. ट्रंप प्रशासन के एक साल से ज्यादा के कार्यकाल के दौरान भारत अमेरिका के बीच संबंध पर उनकी राय के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को उद्धृत करते हुए कहा संबंध, ‘‘इससे ज्यादा मजबूत और बेहतर कभी नहीं रहें.’’

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