MP : कांग्रेस में बाहर से आ रहे नेताओं को लोकसभा चुनाव टिकट पर संशय

भोपाल
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में चल रही प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट को लेकर कशमकश चल रही है।
ऐसे करीब आधा दर्जन नेता हैं जो एक साल के दौरान पार्टी में शामिल हुए हैं और उनके नाम लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशियों के रूप में चर्चा में हैं। वहीं, प्रदेश के शीर्ष नेताओं का दावा है कि अभी कई नेता उनके संपर्क में हैं जिन्हें रणनीति के तहत चुनाव के पहले कांग्रेस में शामिल किया जाएगा।
कांग्रेस में करीब एक साल की अवधि के बीच सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया, अभय मिश्रा, प्रमिला सिंह और विद्यावती पटेल भाजपा और बसपा से आए हैं। इसके पहले पूर्व मंत्री वंशमणि वर्मा समाजवादी पार्टी में जाने के बाद वापस कांग्रेस में आए हैं। इन सभी नेताओं के नाम लोकसभा चुनाव के संभावित प्रत्याशी के तौर पर चल रहे हैं लेकिन स्थानीय समीकरणों के कारण इन नेताओं को टिकट मिलने का फार्मूला नहीं बन पा रहा है।
सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया, अभय मिश्रा, प्रमिला सिंह जैसी नेता भाजपा और विद्यावती पटेल बसपा छोड़कर विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस में शामिल हुई थीं। कुसमरिया का दमोह, सरताज सिंह का नाम होशंगाबाद लोकसभा सीट से चर्चा में है तो अभय मिश्रा व विद्यावती पटेल का रीवा व प्रमिला सिंह का नाम शहडोल लोकसभा क्षेत्र से संभावित प्रत्याशी के तौर पर क्षेत्र में चर्चित बताए जा रहे हैं।
दल-बदलकर कांग्रेस में आए इन नेताओं के नाम भले ही चर्चा में हैं लेकिन कुछ क्षेत्रों में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के नाम भी संभावित प्रत्याशी के तौर आने से बाहरी नेताओं का दावा पक्का नहीं हो पा रहा है।
कांग्रेस नेता चुनौती बने
कुसमरिया को दमोह से चुनौती देने के लिए कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी व पूर्व मंत्री राजा पटैरिया सामने हैं। सरताज सिंह को होशंगाबाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और अभय व विद्यावती पटेल को रीवा में सुंदरलाल तिवारी जैसे जमे हुए कांग्रेस नेताओं के नामों से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बन पाने में बाधाएं खड़ी हैं। इसी तरह पूर्व भाजपा नेता प्रमिला सिंह को शहडोल में जिला पंचायत पदाधिकारी नरेंद्र मरावी और उप चुनाव में हारी प्रत्याशी हिमाद्री सिंह चुनौती के रूप में सामने हैं।
जीतने वाले नेता को ही टिकट मिलेगा
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन के लिए कोई फार्मूला नहीं है। यह सुनिश्चित नहीं है कि दूसरे दलों से आए और आने वाले नेताओं को टिकट दिया ही जाएगा। जो भी जीतने वाला नेता होगा, उसे पार्टी टिकट देगी।