
रायपुर। छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र के त्रिकोणीय सीमा क्षेत्र में स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में इन दिनों देश की सबसे बड़ी सुरक्षात्मक कार्रवाई चल रही है। बीते आठ दिनों से 10 हजार से अधिक जवान इस इलाके को चारों ओर से घेर चुके हैं। सुरक्षा बलों का निशाना देश के कुख्यात नक्सली कमांडरों—हिड़मा, दामोदर और देवा—की गिरफ्तारी या निष्क्रियता है, जो इस पहाड़ी में फंसे होने की खबर है।
इस सैन्य दबाव के बीच, माओवादियों की केंद्रीय कमेटी के वरिष्ठ नेता ‘अभय’ ने सरकार को चौथी बार चिट्ठी लिखकर शांति वार्ता की पेशकश की है। अभय का कहना है कि, “हम संवाद के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाए।”
उन्होंने याद दिलाया कि 28 मार्च को केंद्रीय कमेटी की ओर से वार्ता की इच्छा जाहिर की गई थी। इससे पहले भी माओवादी नेता रूपेश ने दो बार पत्र के माध्यम से समाधान का आग्रह किया था। अभय के मुताबिक, अब वक्त आ गया है कि दोनों पक्ष संवाद के जरिए रास्ता निकालें।
सवाल ये है कि क्या सरकार इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेगी, या कर्रेगुट्टा की पहाड़ी इस बार सिर्फ युद्ध का गवाह बनेगी?