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सरकारी स्कूल के बच्चे खाएंगे जेल का खाना!
- जेल की रोटियां खाने को यूं तो इज्जत की नजर से नहीं देखा जाता, लेकिन आने वाले दिनों में बच्चों को जेल में बना खाना दिया जा सकता है. ऐसा कोई एक-दो दिन नहीं होगा.
- बच्चों को रोजाना ही मिड डे मील(एमडीएम) के तौर पर जेल की बनी रोटी और दाल-चावल खाने होंगे.
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) इसकी तैयारी में लग गया है. सभी राज्यों को इस संबंध में पत्र भेजा गया है. चंडीगढ़ में आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चे फिलहाल जेल का बना एमडीएम खा रहे हैं.
- एमएचआरडी ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि वह अपने राज्य में ये रिपोर्ट तैयार करें कि प्राइमरी और जूनियर क्लास के बच्चों को जेल का बना एमडीएम कैसे खिलाया जा सकता है.
- इसके लिए क्या-क्या तैयारी करनी होगी. नगर क्षेत्र और गांव के स्कूलों की जेल से दूरी कितनी है. वाहन के जरिए जेल से खाना भेजने में कितना वक्त लगेगा.
- इसके लिए क्या इंतजाम करने होंगे. सूत्रों की मानें तो हर राज्य के कुछ जिलों में ये सर्वे हो रहा है.
- पूर्व डाइट प्राचार्य कमलेश कुमार के अनुसार, मौजूदा व्यवस्था के तहत कक्षा एक से पांच और कक्षा छह से आठ दो वर्गों में बच्चों को मिड डे मील खिलाया जाता है.
- इस व्यवस्था के अंतर्गत सभी सरकारी स्कूल, सहायता प्राप्त स्कूल और मदरसा आते हैं. नगर क्षेत्र में पूरी तरह से एनजीओ एमडीएम सप्लाई करते हैं. जबकि ग्रामीण क्षेत्र में प्रधान और हेड मास्टर मिलकर एमडीएम बनवाते हैं. कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में भी एनजीओ खाना सप्लाई करते हैं. मथुरा और उसके आसपास के इलाकों में एनजीओ अक्षयपात्र एमडीएम सप्लाई कर रहा है.
- जानकारों के अनुसार, चंडीगढ़ में 100 आंगनबाड़ी केंद्र और बाल कल्याण परिषद द्वारा चलाए जा रहे 46 केंद्रों में जेल का बना एमडीएम बच्चों को खिलाया जा रहा है.
- मिड डे मील एक नज़र में
– 17 राज्यों में 367 एनजीओ सप्लाई करते हैं एमडीएम.
-देशभर में एमडीएम खाने वाले कुल पंजीकृत छात्र- 13.10 करोड़.
-हर रोज एमडीएम खाने वाले छात्र- 9.65 करोड़. - मिड डे मील का बजट
2014-15 10460 करोड़
2015-16 9132 करोड़
2016-17 9478 करोड़ - -कक्षा 1 से 5 के प्रति छात्र रोजाना का खर्च
-100 ग्राम गेहूं/चावल
-4.35 रुपये नकद खर्च
-कक्षा 6 से 8 के प्रति छात्र
-150 ग्राम गेहूं/चावल रोजाना
-6.51 रुपये नकद खर्च - एमडीएम एक नजर में (रोजाना का खर्च)
-2.41 करोड़ का गेहूं-चावल.
-50 करोड़ रुपये का तड़का लगता है.
-रसोइयों का वेतन हर रोज 84 करोड़.
-एमडीएम बनाने वाले रसोइयों की संख्या 25.38 लाख.
-रसोइयों का वेतन- एक हजार रुपये प्रति महीना.
-एमडीएम के लिए सरकार देती है 2 रुपये किलो गेहूं, 3 रुपये चावल.
-स्कूलों में 8172 करोड़ की लागत से बने है रसोइघर