तो क्या इस वजह से सीएम नहीं बन पाए टीएस बाबा?

नमस्कार दोस्तों फोर्थ आई न्यूज़ में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है दोस्तों हमारे चैनल पर हम नहीं हो तो छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेताओं को लेकर कई स्पेशल स्टोरीज बना रखी है आपने उन्हें भरपूर प्यार भी दिया है और कई बार आपने हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया अलग अलग तरीके से जाहिर भी की है आज हम उन्हीं प्रतिक्रियाओं को एकत्रित कर आपके लिए एक और खास स्टोरी लेकर आए हैं हमारी आज की खास खबर हमारे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रहे टीएस सिंहदेव को लेकर है।
दोस्तों टीएस सिंहदेव को लेकर अक्सर यह बातें हो चुकी है कि वह मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए लेकिन इसके पीछे कारण क्या था इस पर किसी ने इतना गंभीर चिंतन नहीं किया हालांकि यह भी सच है कि कई बार प्रदेश में ऐसे समीकरण हुए जब यह माना जाने लगा कृति देव प्रदेश के मुखिया बन सकते हैं लेकिन वह सिर्फ अफवाह साबित हुए।
आज हम कुछ ऐसे ही बिंदुओं पर बात करने जा रहे हैं जिनसे यह अनुमान लग सकता है कि कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद की बागडोर चेहरे के हाथ क्यों नहीं सौंपी लेकिन हम आगे बढ़ने से पहले आपको स्पष्ट कर दें कि यह सिर्फ पूर्वानुमान है कोई विश्लेषण नहीं तो चलिए आगे बढ़ते हैं।
सौम्य छवि : शो मी छवि का होना वैसे तो अपने आप में एक गुण होता है लेकिन राजनीति में यही सबसे बड़ा अवार्ड भी साबित होता है अगर कोई नेता बेहद शालीन श्रेष्ठ टॉमी प्रवृत्ति का है तो भले ही कोई जनता के सामने आसानी से स्वीकार होता है लेकिन जहां तक विपक्षी दलों की बात है तो ऐसे नेताओं को लोग उतरी गंभीरता से नहीं लेते जितना कि किसी आक्रमक सभी के नेता को लेते हैं टी एस सिंह देव ऐसे ही नेता है जो बेहद शालीन और गंभीर प्रवृत्ति के माने जाते हैं इसके ठीक उलट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसी भी राजनीतिक बात या विवाद पर अपनी राय आक्रामकता के साथ रखते हैं और मुख्यमंत्री पद के लिए यह होना बेहद आवश्यक है ऐसे में माना जा सकता है कि देश की छवि कहीं ना कहीं उनके इस पद को ना पाने का कारण बनी।
छत्तीसगढ़िया वाद : दोस्तों बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि हमारे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव मूल रूप से छत्तीसगढ़ के नहीं है उनका जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था काफी सालों बाद उनका परिवार छत्तीसगढ़ आया था पहले में छत्तीसगढ़िया बाद कि कहीं ना कहीं कभी देखने को इस वजह से भी मिलती है इसके ठीक है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दुर्ग जिले में जन्मे वहीं से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की उनकी बातचीत चली उनके कामकाज में भी छत्तीसगढ़िया पन नजर आता है जो लोगों को सीधे तौर पर उनसे जोड़ता है और इसी वजह से उनकी स्वीकार्यता टी एस सिंह देव की तुलना में प्रदेश में कहीं ज्यादा देखने को मिलती है। सीएम पद पर आसीन ना हों पाने का यह भी एक बड़ा कारण बना।
स्थायित्व की कमी : यह बात भले ही आप में से बहुत लोगों को सुनने में थोड़ी अलग लगे लेकिन हम इसके पीछे की वजह भी आपको बताते हैं दरअसल जबसे प्रदेश में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ तब से यह बात उठती रही है कि हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई साल का फार्मूला निर्धारित किया गया है विभिन्न मोर्चों पर यह बात तथा पर भी आए टीएस सिंहदेव के समर्थक उनके साथ दिल्ली तक गए फिर वापस लौट आए इसके अलावा प्रदेश में भी कई बार इस मुद्दे पर पीएसी देव बयानबाजी करते रहे लेकिन वह इस पर अधिक नहीं रहे कांग्रेस आलाकमान के समझाने पर या कभी पार्टी से चर्चा करने पर अक्सर शांत हो जाते हैं हालांकि उनका यह बीच-बीच में फिर भरता है लेकिन फिर वह ठंडे पड़ जाते हैं ऐसे में उनके व्यवहार में उनके बयानों में स्थायित्व की कमी देखने को मिलती है वह अपने किए गए वादों को लेकर स्थायित्व के साथ नहीं रहे और ना भी है ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने भी शायद इसे गंभीरता से नहीं लिया होगा। और इसके इतर यदि हम भूपेश बघेल को देखें तो एक बार जो वह बात बोल दे जो ठान ले उसे पूरा करके ही दम लेते हैं
आशंकित : हाल फिलहाल में यह बात बिल्कुल सच साबित हुई है किटी एसिवेब खुद अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं उन्हें खुद नहीं पता कि वह आगे क्या करना चाहते हैं अब उनके पिछले बयानों को ही उठाकर देख लीजिए बीते दिनों सरगुजा में कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बयान दिया था कि इस बार उनका चुनाव लड़ने का मन नहीं है वह जनता से राय लेंगे तब देखेंगे हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं बस यह कह दिया कि मन नहीं है इसके पहले उन्होंने एक और बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि वह चुनाव से पहले अपने भविष्य को लेकर फैसला ले सकते हैं लेकिन क्या फैसला होगा वह कांग्रेस पार्टी से अलग होंगे किसी नई पार्टी का गठन करेंगे किसी और पार्टी में जाएंगे यह भी उन्होंने स्पष्ट नहीं किया इसमें भी शंकर ही रही है खुद अपने आप को लेकर स्पष्ट नहीं है तो मुख्यमंत्री पद को लेकर वह कैसे स्पष्ट हो सकते हैं।
तो दोस्तों यह वह कारण माने जा सकते हैं जिसकी वजह से यह अनुमान लगाया जा सकता है की टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री नहीं बन पाए मगर इनके अलावा भी क्या आप कोई और कारण भी मानते हैं जिस वजह से कांग्रेस आलाकमान ने भूपेश बघेल की तरह टी एस सिंह देव पर भरोसा ना जताया हो और अगर इस बार भी कांग्रेस की सत्ता रिपीट होगी तो क्या इस बार आलाकमान उन्हें मौका दे सकता है या नहीं।