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प्राचार्य पदोन्नति का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने हटाई रोक, सरकार जल्द जारी करेगी पोस्टिंग आदेश

रायपुर। प्रदेश में लंबे समय से लंबित प्राचार्य पदोन्नति प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने प्रमोशन आदेश के बाद पोस्टिंग पर लगी रोक को हटा दिया है। कोर्ट ने राज्य शासन की प्रमोशन नीति को सही ठहराते हुए याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे हजारों शिक्षकों को राहत मिली है।

करीब पंद्रह दिन पहले जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर सोमवार को अंतिम निर्णय जारी कर दिया गया। कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार अब प्राचार्य पद के लिए नियुक्ति आदेश जल्द जारी कर सकती है।

बीएड की अनिवार्यता पर हुई थी बहस

प्राचार्य पदोन्नति को लेकर उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से बीएड को अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता मानने पर सवाल उठाए गए थे। साथ ही प्रधान पाठक से व्याख्याता बने शिक्षकों की वरिष्ठता को लेकर भी विवाद था। कोर्ट में इस पर विस्तार से बहस हुई, जिसके बाद बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद याचिकाएं खारिज कर दीं।

राज्य शासन ने दी नियमों के अनुसार दलील

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि प्रमोशन प्रक्रिया पूरी तरह नियमों और योग्यता के आधार पर की गई है। इसमें सभी संवर्ग के शिक्षकों के हितों का ध्यान रखा गया है और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की गई है। याचिकाएं वर्ष 2019 से लेकर 2025 तक की भर्ती व शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी थीं।

3500 स्कूलों में जल्द होंगे प्राचार्यों के पोस्टिंग आदेश

शिक्षक साझा मंच के प्रदेश संचालक संजय शर्मा ने कोर्ट के इस फैसले को शिक्षकों की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि व्याख्याता संवर्ग के शिक्षकों को अपने हक के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्रमोशन सूची जारी की थी, जिस पर 1 मई को हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। अब जब कोर्ट ने स्थगन आदेश हटा दिया है, तो राज्य सरकार को चाहिए कि वह तुरंत नियुक्ति आदेश जारी करे, ताकि नए शिक्षा सत्र की शुरुआत के साथ ही प्रदेश के लगभग 3500 स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति हो सके।

हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद प्राचार्य पद की राह में अब कोई कानूनी बाधा नहीं बची है। सरकार द्वारा जल्द ही नियुक्ति आदेश जारी होने की संभावना है, जिससे स्कूलों में नेतृत्व का संकट समाप्त होगा और शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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