सूरजपुर : कलेक्टर के0सी0 देवसेनापति के निर्देशन में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 एस0पी0 वैश्य से प्राप्त जानकारी अनुसार स्वाईन फ्लू या इन्फ्ल्एन्जा ए एच1 एन1 वायरस के संक्रमण से होने वाली श्वसन तंत्र की संक्रामक रोग है। यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में श्वसन तंत्र के द्वारा फैलती है। संक्रमिक व्यक्ति से उसके छींकते एवं खांसते वक्त वायरस वातावरण में ड्रपलेट के रूप में फैलते है, जो उस वातावरण में श्वांस लेेने वाले व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश कर उसे संक्रमिक करते है।
जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 एस0पी0 वैश्य ने जानकारी दी है कि स्वाईन फ्लू के लक्षण मौसमी फ्लू की तरह ही होते है। इसमें बुखार, सर्दी, खांसी, छींक, कॅफ जमना, गले में खरॉश, सिर दर्द, बदन दर्द, ठंड लगना और थकान की शिकायतें होती है। कुछ प्रकरणों में उल्टी दस्त एवं पेट दर्द भी हो सकता है। गंभीर मरीजों में तेज बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ होती है। लक्षण समाप्त होने के बाद संक्रमित व्यक्ति सात दिनों तक संक्रमण फैला सकता है। बच्चों, वृद्धों एवं पूर्व से अस्वस्थ्य व्यक्तियों में स्वाईन फ्लू के संक्रमण के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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स्वाईन फ्लू से बचाव हेतु जनसामान्य को एहतियात बरती जाना नितांत आवश्यक है। जिसमें प्रमुख्य सावधानी के रूप से खांसते एंव छींकते समय अपने मुंह एवं नाक को रूमाल से या टीशू पेपर से ढकें, खांसने या छींकने वाले व्यक्ति से कम से कम एक हाथ दूर रहें, भीड़ भरी स्थानों पर जाने से बचें, अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन व पानी से धोते रहें, खानपान में सावधानी बरते व भोजन में सुपाच्च एवं पौष्टिक आहार का सेवन करें। पर्याप्त नींदे ले, तनाव से बचें एवं शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी एवं अन्य तरल पदार्थ का सेवन करें। यदि स्वाईन फ्लू के सामान्य लक्षणों से पीडि़त होने की आशंका हो तो घर पर ही रहें, स्कुल अथवा कार्यालय न जाएं व सीमित व्यक्तियों से ही मिलें। सर्दी, खांसी या श्वसन तंत्र से कोई भी तकलीफ हो तो तुरंत निकट के अस्ताल में जांच एवं उपचार करा लें। स्वाईन फ्लू के प्रकोप वाले स्थानों पर जाने से बचें। यदि जाना आवश्यक हो तो मुंह में मास्क लगावें। स्वाईन फ्लू के संबंध में अन्य जानकारी हेतु टोल फ्री नम्बर ‘104‘ सेवा से संपर्क कर प्राप्त किया जा सकता है।
वर्तमान में सूरजपुर जिले में भी स्वाइन फ्लू के प्रकरणों की स्थिति निरंक है परन्तु आने वाले दिनों की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए बीमारी की गंभीरता के मद्देनजर प्रमुख अस्पतालो तथा जिला चिकित्सालय, एसईसीएल चिकित्सालय एवं प्राइवेट चिकित्सालयों तथा सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 02 बिस्तर युक्त वार्ड स्थापित किया गया है एवं उक्त संस्थाओं को स्वाईन फ्लू के प्रबंधन हेतु पूर्ण सतर्कता बरतने के विशेष निर्देश दिये गये है। साथ ही जिले में स्वाईन फ्लू से बचाव हेतु आवश्यक मेडीसीन ओसेलटामिविर 75 एमजी आवश्यकतानुसार विकासखण्ड प्रतापपुर के बीएमओ स्टॉक में 60 केप्सूल उपलब्ध है तथा 180 कैप्सूल जिला औषधि भण्डार/जिला चिकित्सालय में 180 कैप्सूल उपलब्ध है। जहाँ चिकित्सकीय परामर्श अनुसार नि:शुल्क उपचार प्राप्त कर सकते है।
इसके अतिरिक्त जिले के क्षेत्रों में स्वाईन फ्लू संभावित मरीज पाये जाने की स्थिति में तत्काल इसकी सूचना संग्रहण हेतु कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सूरजपुर के आई.डी.एस.पी. इकाई में नियंत्रण कक्ष स्थापित है, जहाँ के जिला सर्वेलेंस अधिकारी डॉ. गरिमा सिंह, मोबाईल नं 8103404438 हैं। इस बीमारी के प्रबंधन हेतु राज्य एवं माननीय जिलाधीश के निर्देशन में समस्त शासकीय, निजी एवं सार्वजनिक उपक्रम के चिकित्सालय प्रमुखों को पूर्व से ही दिशा-निर्देश जारी करते हुए बीमारी की सामान्य जानकारी, लक्षण, जटिलताएं, मरीजों का वर्गीकरण, उपचार प्रोटोकॉल, मरीजों का प्रबंधन, बीमारी के रोकथाम का प्रबंधन, मानिटरिंग, धनात्मक मरीजों को सर्विलेंस, मरीजों की पूर्ण जानकारी इंद्राज कराना, लैब सेंपल एवं रिपार्टिंग इत्यादि का गतिविधियों का अनुसरण करने की हिदायत दी गई है।
उपरोक्त संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 एस0पी0 वैश्य ने जिले के सभी प्रबुद्ध नागरिको से अपील किया गया है कि अपने अथवा आस-पास किसी घर में अथवा अन्य जिलें एवं प्रांत से प्रवासी परिजन एवं अन्य किसी भी व्यक्ति में स्वाईन फ्लू बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर अपनी जागरूकता का परिचय देते हुये अतिशीघ्र स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी/स्वास्थ्य केन्द्र को सुचना देवें व उन्हें शीघ्रातिशीघ्र निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार कराने हेतु प्रेरित करें। स्वास्थ्य के हितार्थ में किसी भी व्यक्ति के बीमार अवस्था में त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना हम सबका नैतिक दायित्व है, जिससे कोई भी बीमारी महामारी का रूप ना ले सकें।