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इस वजह से दिया था टीएस बाबा ने इस्तीफा, आत्मसम्मान के आगे कुछ नहीं मंज़ूर

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव

रायपुर। हमारे छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय राजनेताओं में शुमार और प्रदेश के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की जो छवि है वो उन्हें बाकी राजनेताओं से एक अलग पंक्ति में खड़ी करती है। ऐसा इसलिए नहीं की वो प्रदेश के सबसे अमीर विधायक हैं बल्कि इसलिए की उन्होनें आज तक अपने आत्मसम्मान पर बात आने पर समय-समय पर अपनी आवाज़ उठाई है और कुछ कड़े निर्णय भी लिए हैं। वैसे अगर टीएस सिंहदेव की सम्पत्ति और उनकी दौलत का आपको अंदाज़ा नहीं है तो आप ऊपर आई बटन क्लिक करते हुए उनपर बनी स्पेशल सीरीज़ देख सकते हैं। हमने अभी ज़िक्र किया कड़े फैसले का जी हाँ, क्योंकि टीएस सिंहदेव ने एक ऐसा फैसला लिया जिससे यह साफ़ हो गया की उनके लिए आत्मसम्मान से ज़्यादा कुछ भी नहीं है फिर चाहे वो कोई बड़ा विभाग या पद क्यों ना हो।

जब भूपेश कैबिनेट का गठन हुआ तब टीएस सिंहदेव को मंत्रिमंडल में शामिल करते हुए उन्हें स्वास्थ्य परिवार कल्याण, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। बतौर मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने दिए गए विभागों में सक्रियता से काम भी किए मगर इसी साल 16 जुलाई के दिन टीएस सिंहदेव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया। इस बात से कांग्रेस में ही दो फाड़ साफ नज़र आ गई। सीएम भूपेश बघेल और मंत्री टीएस सिंहदेव के समर्थक खुलकर आमने-सामने आ गए। कुछ विधायकों ने सिंहदेव पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए हाईकमान को पत्र तक भेज दिया। इस सियासी हालात की गूंज दिल्ली दरबार तक पहुंच गई। खुद टीएस सिंहदेव भी दिल्ली रवाना हुए। हालांकि इस्तीफा मंजूर करना या न करना सीएम का विशेषाधिकार है, फिर भी सीएम भूपेश बघेल ने मामला हाईकमान पर छोड़ दिया। और आखिरकार टीएस सिंहदेव का इस्तीफा मंज़ूर कर लिया गया।

इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष भी फ्रंटफुट पर रहा। उस समय मानसून सत्र के दौरान टीएस सिंहदेव की अनुपस्तिथि को लेकर भी कई सवाल खड़े हुए। लेकिन जो वजह टीएस सिंहदेव ने अपने इस्तीफे की बताई थी उसके मुताबिक पंचायत विभाग में लगी मंत्री टीएस सिंहदेव की अनुशंसाओं की फाइलें डंप की जाती रहीं। मंत्री के विभाग में दखल और सचिवों की कमेटियों का निर्णय जाहिर सी बात है किसी मंत्री के लिए यह सहज स्थिति नहीं होती लिहाज़ा इसे लेकर टीएस सिंहदेव लंबे समय से सरकार से खफा चल रहे थे। सरगुजा संभाग में टीएस समर्थकों पर पुलिस व प्रशासन द्वारा टार्गेटेड कार्रवाई के साथ उनके लिए प्रशासनिक प्रोटोकॉल तक का पालन नहीं करने से उनकी नाराजगी और बढ़ी। टीएस सिंहदेव की इससे बेहतर स्थिति भाजपा के डॉ. रमन सिंह सरकार में थी, जब वे नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में थे। इन्हीं सब घटनाक्रमों के चलते जब टीएस सिंहदेव का धैर्य जवाब दे गया तब उन्होने पंचायत विभाग से इस्तीफा दे दिया। और अब वो बतौर स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्टर दुरुस्त करने पर ध्यान दे रहे हैं।

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